Clonal Selection and Hybridization
UPDATED ON:- 01-01-2024
क्लोनीय वरण व संकरण (Clonal Selection and Hybridization):-
क्लोनीय वरण (Clonal Selection):-
• परिभाषा (Definition):- जब क्लोनीय फसलों में उपस्थित प्राकृतिक विविधता का वरण द्वारा शोषण किया जाता है तो इसे क्लोनीय वरण कहते हैं।
(When the natural diversity present in clonal crops is exploited by selection, it is called clonal selection.)
• पौधों के लक्षण प्रारूप पर वातावरण व जीन प्रारूप का प्रभाव पड़ता है।
(Environment and genotype affect the phenotype of plants.)
• स्वपरागित फसलों में क्लोनीय वरण शुद्ध वंशक्रम वरण के समान ही होता है।
(In self-pollinated crops, clonal selection is similar to pure line selection.)
• पौधे 2 प्रकार के लक्षण प्रदर्शित करते हैं:-
(Plants exhibit 2 types of characters: -)
i. उच्च वंशागतित्व लक्षण (High heritability characters):- इनके लिए क्लोनीय वरण प्रभावी होता है। उदाहरण:- पौधों की लंबाई, पुष्पनकाल, रोगरोधिता आदि।
(Clonal selection is effective for these characters. Examples: - Length of plants, flowering time, disease disease resistance etc.)
ii. निम्न वंशागतित्व लक्षण (Low heritability characters):- इनके लिए क्लोनीय वरण अप्रभावी होता है। उदाहरण:- उपज।
(For these characters, clonal selection is ineffective. Example: - Yield.)
• इस विधि में अंत:प्रजनन नहीं होता है इसलिए क्लोन पौधों का जीनप्ररूप अपरिवर्तित रहता है।
(In this method there is no inbreeding, so the genotype of clone plants remains unchanged.)
• क्लोनीय वरण के द्वारा क्लोन पौधों की शुद्धता का अनुरक्षण किया जा सकता है।
(The purity of clone plants can be maintained by clonal selection.)
व्यापीकृत रूपरेखा (Generalized outline):-
संकरण (Hybridization):-
• क्लोनीय वरण द्वारा फसलों में उपस्थित प्राकृतिक विविधता का शीघ्र ही शोषण हो जाता है। इसके बाद इन फसलों में वरण द्वारा सुधार संभव नही होता है।
(The natural diversity present in crops is soon exploited by clonal selection. After this, improvement by selection is not possible in these crops.)
• संकरण का मुख्य उद्देश्य क्लोनीय फसलों में फिर से विविधता उत्पन्न करना है ताकि इनमें वरण द्वारा और अधिक सुधार किया जा सके।
(The main purpose of hybridization is to re-development of genetic diversity in clonal crops so that they can be further improved by selection.)
• जिन क्लोनीय फसलों में लैंगिक जनन भी होता है उनमें संकरण द्वारा आसानी से विविधता उत्पन्न की जा सकती है।
(Those clonal crops in which sexual reproduction is also found, genetic diversity can be easily developed through hybridization.)
संकरण की विधि (Procedure of Hybridization):- 3 चरण हैं-
(3 steps are-)
a. जनकों का चुनाव
(Selection of parents)
b. संकर बीज उत्पादन
(Hybrid Seed Production)
c. संकर पीढ़ी से उत्कृष्ट क्लोन्स का वरण
(Selection of superior clones from hybrid generation)
a. जनकों का चुनाव (Selection of parents):-
• GCA व SCA के आधार पर जनकों का चयन किया जाता है।
(Parents are selected on the basis of GCA and SCA.)
• केवल उच्च GCA व उच्च SCA वाले जनकों का चुनाव करते हैं।
(Only parents with high GCA and high SCA are selected.)
• क्लोनीय फसल के जिन लक्षणों में सुधार करना है वे जनकों में उपस्थित होने चाहिए।
(The characters of the clonal crop which are to be improved should be present in the parents.)
• जनकों में 1 – 3 पीढ़ियों तक स्वपरागण कराना चाहिए। जनकों पर इसके 2 प्रभाव होते हैं –
(Self-pollination should be done for 1 to 3 generations among parents. It has 2 effects on parents -)
i. अंत:प्रजनन ह्रास
(Inbreeding depression)
ii. हानिकारक अप्रभावी जीनों की आवृति में कमी
(Reduction in frequency of harmful recessive genes)
इन अंत:प्रजात संततियों में से ओजपूर्ण व स्वस्थ पौधों का वरण करके जनकों के रूप में उपयोग करते हैं।
(From these inbred progenies, select vigorous and healthy plants and use them as parents.)
b. संकर बीज उत्पादन (Hybrid Seed Production):-
• जनकों में कृत्रिम संकरण कराते हैं।
(Artificial hybridization is done in parents.)
• जनकों में 2 प्रकार के संकरण कराये जा सकते हैं –
(There are 2 types of hybridization that can be done in parents -)
i. एकल क्रॉस (Single Cross)
ii. बहु क्रॉस (Poly Cross)
• साधारणतया क्लोनीय फसलों में स्वअनिषेच्यता पायी जाती है। ऐसी फसलों में संकरण अपेक्षाकृत आसान होता है।
(Self-incompatibility is generally found in clonal crops. Hybridization is relatively easy in such crops.)
• ऐसी फसलें जिनमें पुष्प व बीज बहुत कम बनते हैं अथवा बीज अंकुरित नहीं होते हैं (जैसे - अरबी), उनमें संकर बीज व पादप उत्पादन एक समस्या होता है।
[Hybrid seed and plant production is a problem in crops in which flowers and seeds are formed rarely or seeds do not germinate (eg .Arabi).]
• प्राप्त संकर बीजों को उगाकर संकर पीढ़ी उत्पन्न की जाती है।
(Hybrid generation is produced by growing the hybrid seeds obtained.)
c. संकर पीढ़ी से उत्कृष्ट क्लोन्स का वरण (Selection of superior clones from hybrid generation):-
• संकर बीजों को उगाकर F1 पीढ़ी प्राप्त की जाती है जिसे संकर पीढ़ी कहते हैं।
(F1 generation is obtained by growing hybrid seeds called hybrid generation.)
• अब उत्कृष्ट F1 पौधों का वरण किया जाता है।
(Now superior F1 plants are selected.)
• अब वरित पौधों से पृथक रूप से प्रवर्धों को एकत्रित करते हैं।
(Now collect the propagules separately from the selected plants.)
• अब इन प्रवर्धों का उपयोग एकल पादप संततियाँ उगाने में किया जाता है।
(Now these propagules are used to grow individual plant progenies.)
• अब उत्कृष्ट क्लोन पौधों का वरण कर लेते हैं।
(Now superior clone plants are selected.)
• परीक्षण, विमोचन, गुणन व वितरण आगे के चरण हैं।
(Testing, release, multiplication and distribution are the further steps.)
• इस प्रकार संकर पीढ़ी में क्लोनीय वरण करके समष्टि में सुधार किया जाता है।
(Thus the plant population is improved by doing clonal selection in hybrid generation.)
व्यापीकृत रूपरेखा (Generalized outline):-