Cowpea Crop Improvement
UPDATED ON:- 01-07-2023
लोबिया फसल उन्नयन (Cowpea Crop Improvement):-
1. परिचय (Introduction):-
· सामान्य नाम:- लोबिया
(Common Names:- Cowpea, Black eyed pea, Southern pea)
· वानस्पतिक नाम:- Vigna unguiculata
(Botanical Name:- Vigna unguiculata)
· कुल:- लेग्यूमिनोसी या फैबेसी
(Family:- Leguminosae or Febaceae)
· उपकुल:- पैपिलिओनेसी
(Sub family:- Papilionaceae)
· गुणसूत्र संख्या:- 2n = 2x = 22
(Chromosome Numbers:- 2n = 2x = 22)
2. उत्पत्ति केन्द्र (Center of Origin):-
· लोबिया का प्राथमिक उत्पत्ति केन्द्र अफ्रीका है।
(The primary center of origin of cowpea is Africa.)
· अफ्रीका महाद्वीप में लोबिया के लिए कोई निश्चित उत्पत्ति केंद्र ज्ञात नहीं है। इथोपिया, केंद्रीय अफ्रीका, दक्षिण अफ्रीका, पश्चिम अफ्रीका आदि सभी को लोबिया का उत्पत्ति केन्द्र माना जाता है।
(No definite origin center for cowpea is known in the continent of Africa. Ethiopia, Central Africa, South Africa, West Africa etc. are all considered to be the center of origin of cowpea.)
· लोबिया का द्वितीयक उत्पत्ति केन्द्र भारत व चीन को माना जाता है।
(India and China are considered to be secondary centers of origin of cowpea.)
3. उपजातियाँ (Sub-species):-
· Verdcourt ने 1970 में Vigna unguiculata को 3 उपजातियों में विभाजित किया:-
(Verdcourt divided Vigna unguiculata into 3 sub-species in 1970: -)
a. Vigna unguiculata unguiculata:- कृष्य उपजाति (Cultivated sub species)
b. Vigna unguiculata dekindtiana:- जंगली उपजाति (Wild sub-species)
c. Vigna unguiculata mensensis:- जंगली उपजाति (Wild sub-species)
· Marechal ने 1978 में Vigna unguiculata unguiculata उपजाति को आगे 3 कृष्य समूहों (Cultigroups) में विभाजित किया:-
(Marechal further subdivided the Vigna unguiculata unguiculata sub-species into 3 cultigroups in 1978: -)
i. Unguiculata:- सबसे अधिक विविध व सबसे अधिक वितरित कृष्य समूह है जिसे लोबिया कहते हैं। इसकी खेती अफ्रीका, भारत व ब्राजील में की जाती है।
(This is the most diverse and most distributed cultivar group, which is called cowpea. It is cultivated in Africa, India and Brazil.)
ii. Biflora:- इसे सामान्य भाषा में Catjang bean कहते हैं। इसका उपयोग सूखे बीजों व चारे के रूप में उपयोग किया जाता है।
(It is commonly called Catjang bean. It is used as dry seeds and fodder.)
iii. Sesquipedalis:- इसे सामान्य भाषा में yard – long bean या asparagus bean कहते हैं। इसकी पोड्स व कभी कभी इसकी पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है।
(It is commonly called yard - long bean or asparagus bean. Its pods and sometimes its leaves are used as vegetable.)
4. पुष्पीय बायोलॉजी (Floral Biology):-
· लोबिया एक शाकीय व एकवर्षीय पौधा है। इसकी ऊंचाई 15 – 80 cm होती है।
(Cowpea is a herbaceous and annual plant. Its height is 15 - 80 cm.)
· लोबिया में अशाखित कक्षस्थ Raceme पुष्पक्रम होता है जिसमें पुष्पों का एक गुच्छा पर्ण के कक्ष में पुष्पावली वृन्त के शीर्ष पर पाया जाता है। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है।
(The cowpea consists of an unbranched axillary raceme inflorescence in which a bunch of flowers are found on the top of the peduncle in the leaf axis. As shown in the diagram below.)
· प्रत्येक पुष्प द्विलिंगी, वृन्तीय व एकव्याससममित होता है।
(Each flower is bisexual, pedicellate and zygomorphic.)
· प्रत्येक पुष्प में 5 हरे रंग के बाह्यदल होते हैं जो आपस में जुड़े रहते हैं।
(Each flower has 5 green sepals which are interlinked.)
· प्रत्येक पुष्प में सफेद से हल्के बैंगनी रंग के 5 दल होते हैं जो ध्वजीय दलविन्यास प्रदर्शित करते हैं। दल 3 प्रकार के होते हैं –
(Each flower has 5 petals of white to light purple color which exhibit vexillary aestivation. There are 3 types of petals-)
i. ध्वज (Vexillum, Standard):- ऊपरी 1 बड़ा दल
(Upper 1 large petal)
ii. पक्ष (Wing):- 2 पार्श्वीय मध्यम दल
(2 lateral medium petals)
iii. नोतल (Keel, Carina):- निचले 2 छोटे दल जिनके अंदर पुंकेसर व स्त्रीकेसर बन्द रहते हैं। इस अवस्था में स्वपरागण होता है जिसे निमिलित परागण कहते हैं।
(The lower 2 small petals inside which stamens and carpels remain enclosed. In this condition, self-pollination occurs, which is called cleistogamy.)
· प्रत्येक पुष्प में 10 पुंकेसर होते हैं जो 9 + 1 के दो समूहों में पाये जाते है। अर्थात पुंकेसर द्विसंघी होते हैं।
(Each flower has 10 stamens which are found in two groups of 9 + 1. That is, stamens are diadelphous.)
· प्रत्येक पुष्प में 1 अण्डप होता है जिसमें 10 - 15 बीजाण्ड सीमान्त बीजाण्डन्यास में पाये जाते है। इसकी वर्तिकाग्र रोमीय व सर्पिलाकार कुण्डलित होती है।
(Each flower has 1 carpel, in which 10 - 15 ovules are found in marginal placentation. Its stigma is hairy and spirally coiled.)
· पुष्पचित्र (Floral Diagram):-
· परागण (Pollination):-
Ø प्राकृतिक रूप से लोबिया एक स्वपरागित फसल है।
(Naturally cowpea is a self-pollinated crop.)
Ø लोबिया में 11 – 14 दिनों तक पुष्पन होता रहता है।
(Flowering occurs in cowpea for 11 - 14 days.)
Ø लोबिया में पुष्प अधिकतर सुबह 7 से 9 बजे के मध्य खुलते हैं। बादलों भरे दिन होने पर पुष्प दोपहर के बाद खुल सकते हैं।
(Flowers in cowpea mostly open between 7 am and 9 am. Flowers can open after noon on a cloudy day.)
Ø पुष्प सुबह देरी से खुलते हैं जबकि परागकोषों का स्फुटन बहुत पहले रात 10 बजे से रात 12:45 के मध्य ही हो जाता है।
(The flowers open late in the morning, while the dehiscence of the anthers occurs earlier between 10 pm and 12:45 am.)
Ø परागकोषों का स्फुटन कुछ वातावरणीय कारकों द्वारा प्रेरित किया जाता है जैसे –
(Dehiscence of anthers is induced by certain environmental factors such as -)
i. चाँद की रौशनी (Moon light)
ii. साफ आसमान (Clean sky)
iii. शुष्क गर्म वायुमंडल (Dry hot atmosphere)
Ø जबकि काली रातों में परागकोषों का स्फुटन देरी से होता है।
(Whereas in black nights there is late dehiscence of anthers.)
Ø लोबिया के पुष्पों में निमिलित परागण पाया जाता है अर्थात पुंकेसर व स्त्रीकेसर दोनों पुष्प में बन्द होते हैं। इसके अतिरिक्त परागकोषों का स्फुटन पुष्पों के खुलने से पहले ही हो जाता है। इसी कारण लोबिया में 100% स्वपरागण होता है।
(Cleistogamy is found in the flowers of cowpea, it means both the stamens and carpels remain enclosed in the flowers. In addition, the anthers are dehisced before the flowers open. This is why there is 100% self-pollination in cowpea.)
· फल (Fruit):- पॉड या लैग्यूम (Pod or Legume) जो 10 - 23 cm लम्बे होते हैं। एक पॉड में 10 -15 बीज होते हैं। बीज क्रीम रंग के होते हैं।
(Pod or Legume which are 10 - 23 cm long. A pod contains 10 –15 seeds. The seeds are cream colored.)
5. प्रजनन उद्देश्य (Breeding Objectives):-
a. अधिक उपज (Higher Yield):-
i. उच्च हरी पॉड उपज (सब्जी प्रकार किस्में)
[High green pod yield (vegetable type varieties)]
ii. उच्च बीज उपज (शुष्क बीज प्रकार किस्में)
[High seed yield (dry seed type varieties)]
iii. उच्च चारा उपज (चारा प्रकार किस्में)
[High fodder yield (fodder type varieties)]
iv. द्विउद्देश्य (सब्जी व बीज प्रकार किस्में, बीज व चारा प्रकार किस्में)
[Dual-objective (vegetable and seed type varieties, seed and fodder type varieties)]
b. शीघ्र परिपक्वन (Early maturation)
c. उपयुक्त पादप प्रारूप (Better plant type):-
Ø ऊर्ध्वाधर (Erect)
Ø सब्जी व बीज प्रकार कल्टीवर के लिए निर्धारित वृद्धि
(Determined growth for vegetable and seed type cultivars)
Ø चारा प्रकार कल्टीवर के लिए अनिर्धारित वृद्धि व फैलाव
(Undetermined growth and spreading for fodder type cultivars)
Ø जल भराव क्षेत्रों के लिए लघु परिपक्वन काल व उच्च उपज वाली क़िस्मों को विकसित करना।
(Developing short maturity and high yielding varieties for waterlogged areas.)
d. रोग रोधिता (Disease Resistance):-
लोबिया की फसल में कई प्रकार रोग उत्पन्न हो सकते हैं जो आर्थिक नुकसान कर सकते हैं। इन रोगों के प्रति रोधिता उत्पन्न करना एक उद्देश्य रहता है।
(Several types of diseases can occur in the cowpea crop which can cause economic loss. Developing resistance against these diseases is also objective of plant breeding.)
i. Cowpea Yellow Mosaic Virus
ii. Fusarium wilt
iii. Ascochyta blight
iv. Bacterial blight
v. Bacterial pustules
vi. Cercospora Leaf Spot
vii. Powdery mildew
viii. Anthracnose
e. कीट रोधिता (Insect resistance):-
लोबिया की फसल को कई प्रकार के कीट क्षति पहुंचा सकते हैं जो आर्थिक नुकसान करते हैं। इन कीटों के प्रति रोधिता उत्पन्न करना एक उद्देश्य रहता है।
(Several types of insect pests can cause damage to the cowpea crop which leads to economic loss. Hence one objective is to generate resistance against these insect pests.)
i. Thrips
ii. Pod sucking insects
iii. Hairy caterpillar
iv. Bruchids
v. Leaf hopper
vi. Aphids
vii. Pod borer
f. अच्छी बीज गुणवत्ता (Better Seed Quality):- उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक उद्देश्य है।
(This is the essential objective for consumers.)
i. मध्यम से बड़ा बीज आकार
(Medium to large Seed Size)
ii. एक समान सफेद या क्रीमी या हल्के लाल बीज
(Uniform white or creamy or light red seeds)
iii. बीज में हिलम के चारों ओर काले या भूरे स्कार्स का अभाव
(Absence of black or brown scars around the hilum in the seed)
g. अभिजात, अधिक उपज वाले पादप प्रकार का विकास (Development of elite and high yielding plant type):-
· लम्बा ओजपूर्ण पौधा
(Long vigorous plant)
· गहरी मूसला मूल
(Deep tap root)
· जलभराव व विशरन रोधी
(Resistant to water lodging and shattering)
· कम और / या छोटी शाखाएँ
(Less and / or short branches)
· संकरी पत्तियाँ
(Narrow leaves)
· छोटा पुष्पावली वृन्त
(short peduncle)
· पुष्पावली वृन्तों का पर्वसंधियों पर जुड़ाव
(Attachment of peduncles on nodes)
· रैसीम पुष्पक्रम पर अधिक पोड्स संख्या
(More number of pods on raceme inflorescence)
· अधिक बीजों युक्त लम्बे पोड्स
(Long pods with more seeds)
· अपक्षय रोधी पोड्स व बीज
(Decay resistant pods and seeds)
· अच्छी गुणवत्ता के मध्यम या मध्यम छोटे बीज
(Good quality medium or medium small seeds)
6. प्रजनन विधियाँ (Breeding Methods):-
a. द्वितीयक पुर:स्थापन (Secondary Introduction):-
· Pusa Barsati (फिलीपीन्स से)
(From Phillipines)
· Pusa Falguni (कनाडा से)
(From Canada)
b. संकरण (Hybridization):-
· Pusa Dofasali (Pusa Falguni X Exotic Philippines)
· Narendra Lobia 1 (Pusa Komal X Varanasi Local)
c. वरण (Selection):-
· Pusa Komal (L-1552)
· Pusa Rituraj
· Bhagya Lakshmi