Mendelian Principles of Heredity
UPDATED ON:- 01-01-2024
आनुवंशिकी के मेंडेलियन सिद्धान्त (Mendelian Principles of Heredity):-
शब्दावली (Terminology):-
1. जीन (Gene):- वह कारक जो किसी आनुवंशिक लक्षण की अभिव्यक्ति के लिए उत्तरदायी होता है, जीन कहलाता है। इसे आनुवंशिकता की इकाई कहते हैं। मेंडल ने जीन के लिए कारक शब्द का उपयोग किया। Johansen ने 1909 में जीन शब्द दिया। जीन गुणसूत्रों पर रेखीय रूप से उपस्थित होते हैं।
(The factor that is responsible for the expression of a genetic trait is called a gene. It is called the unit of heredity. Mendel used the term factor for a gene. Johansen coined the term gene in 1909. Genes are arranged in a linear fashion on te chromosome.)
2. युग्मविकल्पी (Alleles):- समजात गुणसूत्रों की संगत स्थितियों पर उपस्थित जीन के वैकल्पिक रूपों को युग्मविकल्पी कहते हैं।
(The alternative forms of a gene present at the same locus on homologous chromosomes are called alleles.)
3. संकर (Hybrid):- वैकल्पिक लक्षणों में भिन्नता रखने वाले दो पौधों में संकरण से उत्पन्न सन्तति संकर कहलाती है।
(The progeny produced by crossing between two plants having different alternative traits, is called hybrid.)
i. एकल संकर (Monohybrid):- जब दो पौधों के मध्य संकरण के समय केवल एक ही लक्षण को ध्यान में रखा जाता है तो इसे एकल संकर संकरण कहते हैं। उदाहरण:- TT x tt
(When only one genetic trait is considered while crossing between two plants, it is called monohybrid cross. Example:- TT x tt)
ii. द्विसंकर (Dihybrid):- जब दो पौधों के मध्य संकरण के समय दो लक्षणों को ध्यान में रखा जाता है तो इसे द्विसंकर संकरण कहते हैं। उदाहरण:- TTRR x ttrr
(When two genetic traits are considered while crossing between two plants, it is called dihybrid cross. Example:- TTRR x ttrr)
4. व्युत्क्रम संकरण (Reciprocal hybridization):- जब दो पौधों को नर व मादा के रूप में बदलकर संकरण कराते हैं तो इसे व्युत्क्रम संकरण कहते हैं।
(When two plants are crossed by changing in the form of male and female, it is called reciprocal hybridization.)
5. प्रतीप संकरण (Back cross):- जब F1 संकर का क्रॉस किसी एक जनक से कराया जाता है तो इसे प्रतीप संकरण कहते हैं।
(When a F1 hybrid is crossed with its any one parent, it is called back cross.)
6. परीक्षण संकरण (Test Cross):- जब F1 संकर का क्रॉस उसके अप्रभावी जनक के साथ कराया जाता है तो इसे परीक्षण संकरण कहते हैं। एकल संकर का परीक्षण संकरण अनुपात 1 : 1 आता है जबकि द्विसंकर का परीक्षण संकरण अनुपात 1 : 1 : 1 : 1 आता है।
(When a F1 hybrid is crossed with its recessive parent, it is called test cross. The test cross ratio of a single hybrid is 1 : 1 while that of a dihybrid is 1 : 1 : 1 : 1.)
7. लक्षणप्रारूप (Phenotype):- किसी पौधे के बाह्य लक्षणों व आकारिकी को लक्षणप्रारूप कहते हैं। यह शब्द 1909 में Johansen ने दिया था।
(The external characters and morphology of a plant are called phenotype. This term was given by Johansen in 1909.)
8. जीनप्रारूप (Genotype):- किसी पौधे के सम्पूर्ण आनुवंशिक संगठन को जीन प्रारूप कहते हैं। यह शब्द 1909 में Johansen ने दिया था।
(The complete genetic constitution of a plant is called a genotype. This term was given by Johansen in 1909.)
9. प्रभाविता (Dominance):- जब भिन्न युग्मविकल्पी लक्षण रखने वाले पौधों के मध्य संकरण कराया जाता है तो दोनों विकल्पी लक्षणों में से एक ही लक्षण की अभिव्यक्ति होती है तथा दूसरा लक्षण छुप जाता है। अभिव्यक्ति वाले लक्षण को प्रभावी लक्षण कहते हैं जबकि छुपने वाले लक्षण को अप्रभावी लक्षण कहते हैं।
(When a cross is done between plants having different alternative traits, one of the two alternative traits is expressed and the other trait is hidden. Expressed trait is called dominant trait while hidden trait is called recessive trait.)
10. समयुग्मजी (Homozygous):- जब किसी पौधे में किसी लक्षण के लिए दोनों युग्म विकल्पी समान होते हैं तो इसे समयुग्मजी अवस्था कहते हैं। यह शब्द Bateson ने 1902 में दिया था। उदाहरण – TT, tt, RR, rr
(When both the alleles are same for a trait in a plant, it is called homozygous stage. This term was given by Bateson in 1902. Example – TT, tt, RR, rr)
11. विषमयुग्मजी (Heterozygous):- जब किसी पौधे में किसी लक्षण के लिए दोनों युग्म विकल्पी भिन्न होते हैं तो इसे विषमयुग्मजी अवस्था कहते हैं। यह शब्द Bateson ने 1902 में दिया था। उदाहरण – Tt, Rr
(When both the alleles for a trait are different in a plant, it is called heterozygous stage. This term was given by Bateson in 1902. Example – Tt, Rr)
12. Genome (जीनोम):- It is the complete set of haploid chromosomes in an organism. It provides all of the genetic information the organism requires to function.
Genome :- यह एक जीव में अगुणित गुणसूत्रों का पूर्ण समुचय है। यह पूर्ण आनुवंशिक सूचना प्रदान करता है जो जीव को कार्य करने की आवश्यकता होती है।
मेंडल के आनुवंशिकता के नियम (Mendel’s Laws of Inheritance):-
वर्ष 1900 को ‘मेंडलवाद की पुनर्खोज का वर्ष’ कहते हैं। Karl Correns ने मेंडल की खोज को आनुवंशिकता के नियमों के रूप में स्थापित किया।
(The year 1900 is called 'the year of rediscovery of Mendelism'. Karl Correns established Mendel's discovery as the laws of heredity.)
1. प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)
2. युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Purity of Gametes)
3. पृथक्करण का नियम (Law of Segregation)
4. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)
1. प्रभाविता का नियम (Law of Dominance):- इस नियम के अनुसार जब भिन्न युग्मविकल्पी लक्षण रखने वाले पौधों के मध्य संकरण कराया जाता है तो दोनों विकल्पी लक्षणों में से एक ही लक्षण की अभिव्यक्ति होती है तथा दूसरा लक्षण छुप जाता है। अभिव्यक्ति वाले लक्षण को प्रभावी लक्षण कहते हैं जबकि छुपने वाले लक्षण को अप्रभावी लक्षण कहते हैं।
(According to this law, when a cross is made between plants having different alternative traits, only one trait is expressed and the other trait is hidden. Expressed trait is called dominant trait while hidden trait is called recessive trait.)
अपवाद – सहप्रभाविता, अपूर्ण प्रभाविता
(Exceptions - Co-dominance, Incomplete dominance)
2. युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Purity of Gametes):- इस नियम के अनुसार प्रत्येक पौधे से बनने वाले युग्मक 100% शुद्ध होते हैं। एक जीन के दोनों युग्म विकल्पी कभी भी साथ साथ एक युग्मक में नहीं रह सकते।
(According to this law the gametes formed from each plant are 100% pure. Both alleles of a gene can never remain together in the same gamete.)
3. पृथक्करण का नियम (Law of Segregation):- इसे विसंयोजन का नियम भी कहते हैं। इस नियम के अनुसार F1 सन्तति में युग्मक बनते समय दोनों समजात गुणसूत्र अलग अलग युग्मकों में चले जाते हैं जिससे एक जीन के दोनों युग्म विकल्पी एक – दूसरे से अलग होकर भिन्न भिन्न युग्मकों में चले जाते हैं। इस प्रक्रिया को विसंयोजन या पृथक्करण कहते हैं।
(According to this law, during the formation of gametes in F1 progeny, both the homologous chromosomes move to different gametes, due to which both the alleles of the same gene get separated from each other and move to different gametes. This process is called segregation.)
4. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment):- इस नियम के अनुसार एक जीन के दोनों युग्म विकल्पियों का विसंयोजन दूसरे जीन के दोनों युग्म विकल्पियों के विसंयोजन से पूर्णतया स्वतंत्र होता है। इस प्रकार दूसरी पीढ़ी में युग्म विकल्पियों के नए संयोग बन सकते हैं। ऐसा जीन विनिमय के कारण होता है।
(According to this law, the segregation of both the alleles of one gene is completely independent of the segregation of both the alleles of the other gene. Thus new combinations of alleles can be formed in the second generation. This is due to crossing over.)
अपवाद - सहलग्नता
(Exception - Linkage)
Types of Gametes (युग्मकों के प्रकार):-
Tyes of gametes (युग्मकों के प्रकार) = 2n
n = Number of heterozygous pairs
(विषमयुग्मजी जोड़ों की संख्या)