Pigeon pea Crop Improvement
1. परिचय (Introduction):-
· सामान्य नाम:- अरहर, लाल चना
(Common Name:- Pigeon pea, Red gram)
· वानस्पतिक नाम:- Cajanus cajan
(Botanical Name:- Cajanus cajan)
· कुल:- लेग्यूमिनोसी या फैबेसी
(Family:- Leguminosae or Fabaceae)
· उपकुल:- पैपिलिओनेसी
(Sub-family:- Papilionaceae)
· गुणसूत्र संख्या:- 2n = 2x = 22
(Chromosome Numbers:- 2n = 2x = 22)
· अरहर सूखे के प्रति सहिष्णु होता है।
(Pigeon pea is tolerant to drought.)
· अरहर का मूसला मूल तंत्र बहुत अधिक गहरा व अधिक शाखित होता है।
(The tap root system of pigeon pea is much deeper and more branched.)
· विश्व की 82% अरहर की खेती भारत में की जाती है।
(82% of the world's pigeon pea is cultivated in India.)
· अरहर के बीजों में तीन मुख्य घटक प्रचुरता से पाये जाते हैं:-
(Three main components are found abundantly in pigeon pea seeds: -)
i. प्रोटीन (Protein):- इसमें आवश्यक अमीनो अम्ल जैसे लाइसिन, टायरोसिन, सिस्टीन व आर्जिनिन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
(It contains abundant amounts of essential amino acids such as lysine, tyrosine, cysteine and arginine.)
ii. आयरन (Iron)
iii. आयोडीन (Iodine)
2. उत्पत्ति केन्द्र (Center of Origin):-
· अरहर के 3 उत्पत्ति केन्द्र माने जाते हैं –
(The 3 origin centers of pigeon pea are considered -)
i. भारत (India)
ii. अफ्रीका (Africa)
iii. ऑस्ट्रेलिया (Australia):- यहाँ अरहर की 15 जंगली जातियाँ पायी जाती हैं।
(There are 15 wild species of pigeon pea.)
· ऐसा माना जाता है कि कृष्य अरहर की उत्पत्ति जंगली जाति Cajanus cajanifolius से हुई है।
(It is believed that the cultivated pigeon pea is originated from the wild species Cajanus cajanifolius.)
3. जातियाँ (Species):- अरहर की कुल 32 जातियाँ हैं। इनमें से मुख्य निम्न हैं -
(There are a total 32 species of pigeon pea. The main among these are -)
S. No. | जाति (Species) | वितरण (Distribution) | प्रकार (Type) |
1 | Cajanus cajan | सर्वानुवर्ती (Pantropic) | कृष्य (Cultivated) |
2 | Cajanus cajanifolius | भारत (India) | जंगली (Wild) |
3 | Cajanus kerstingii | अफ्रीका (Africa) | जंगली (Wild) |
4 | Cajanus acutifolius | ऑस्ट्रेलिया (Australia) | जंगली (Wild) |
5 | Cajanus volubilis | फिलीपीन्स, इन्डोनेशिया (Philippines, Indonesia) | जंगली (Wild) |
कृष्य जाति Cajanus cajan को 2 समूहों में विभाजित किया गया है:-
(The cultivated species Cajanus cajan is divided into 2 groups:-)
a. Cajanus cajan var. bicolor:-
· इसे सामान्य भाषा में अरहर कहते हैं।
(It is commonly called pigeon pea.)
· यह बहुवर्षीय, देरी से पकने वाली, लम्बी व झाड़ीनुमा स्वभाव की होती है।
(It is perennial, late maturing, long and shruby in nature.)
· पार्श्व मूल तंत्र अधिक गहरा, कम फैला हुआ व विरल होता है।
(The lateral root system is more deep, less spreaded and sparse.)
· पुष्पन दिसंबर से फरवरी के मध्य होता है।
(Flowering occurs between December to February.)
· पीले रंग के ध्वज दल की पृष्ठीय सतह पर लाल शिराएँ पायी जाती हैं।
(Red veins are found on the dorsal surface of the yellow vexillum.)
· पोड्स मार्च से अप्रैल के मध्य परिपक्व होती हैं। सभी पोड्स एक साथ परिपक्व होती हैं।
(Pods mature between March and April. All pods mature together.)
· पॉड काले रंग का होता है जिसमें 4 – 5 बीज पाये जाते हैं।
(The pod is black in color with 4–5 seeds.)
· यह उत्तरी भारत में अधिक सामान्य है।
(It is more common in northern India.)
· यह चारे के लिए भी उपयुक्त होती है।
(It is also suitable for fodder.)
b. Cajanus cajan var. flavus:-
· इसे सामान्य भाषा में तूअर कहते हैं।
(It is commonly called Tur.)
· यह एकवर्षीय, शीघ्र पकने वाली, छोटी व झाड़ीनुमा स्वभाव की होती है।
(It is annual, early maturing, short and shrubby in nature.)
· पार्श्व मूल तंत्र कम गहरा, अधिक फैला हुआ व सघन होता है।
(The lateral root system is less deep, more spreaded and denser.)
· पुष्पन सितम्बर से नवम्बर के मध्य होता है।
(Flowering occurs between September and November.)
· पीले रंग के ध्वज दल की पृष्ठीय सतह पर लाल शिराएँ नहीं पायी जाती हैं।
(Red veins are not found on the dorsal surface of the yellow vexillum.)
· पोड्स दिसम्बर महीने में परिपक्व होती हैं। पोड्स अलग – अलग समय पर परिपक्व होती हैं। 15 -16 दिन के अंतराल पर इन्हें तोड़ा जाता है।
(Pods mature in December. Pods mature at different times. They are harvested at intervals of 15 -16 days.)
· पॉड भूरे-क्रीम रंग का होता है जिसमें 2 – 3 बीज पाये जाते हैं।
(The pod is brown-cream colored with 2 - 3 seeds.)
· इसे मुख्य रूप से दक्षिणी भारत में बीज उपज के लिए उगाया जाता है।
(It is mainly grown in southern India for seed yield.)
4. पुष्पीय बायोलॉजी (Floral Biology):-
· अरहर का पौधा 4 मीटर तक लम्बा होता है।
(The pigeon pea plant is up to 4 meters long.)
· अरहर में Raceme पुष्पक्रम होता है जिसमें प्रत्येक पर्वसंधि पर 2 पुष्प होते हैं।
(The pigeon has raceme inflorescence in which there are 2 flowers on each node.)
· पुष्पन के आधार पर अरहर को 2 समूहों में विभाजित किया गया है –
(Pigeon pea is divided into 2 groups based upon flowering -)
i. निर्धारित प्रकार (Determinate types):- इसमें मुख्य अक्ष की शीर्षस्थ कलिका पुष्पों में विकसित हो जाती है। पुष्पन शीघ्र पूर्ण हो जाता है।
(In this, the apical bud of the main axis develops into flower. Flowering is completed quickly.)
ii. अनिर्धारित प्रकार (Indeterminate types):- इसमें raceme पुष्पक्रम पर्ण के कक्ष में विकसित होता है। पुष्पन लम्बे समय तक होता रहता है।
(In this, the raceme develops in the leaf axis. Flowering continues for a long time.)
· प्रत्येक पुष्प द्विलिंगी, वृन्तीय व एकव्याससममित होता है।
(Each flower is bisexual, pedicellate and zygomorphic.)
· प्रत्येक पुष्प में 5 हरे रंग के बाह्यदल होते हैं जो आपस में जुड़े रहते हैं।
(Each flower has 5 green sepals which are fused.)
· प्रत्येक पुष्प में पीले रंग के 5 दल होते हैं जो ध्वजीय दलविन्यास प्रदर्शित करते हैं। दल 3 प्रकार के होते हैं –
(Each flower has 5 yellow petals that represent vexillary aestivation. There are 3 types of petals -)
i. ध्वज (Vexillum, Standard):- ऊपरी 1 बड़ा दल
(Upper 1 large petal)
ii. पक्ष (Wing):- 2 पार्श्वीय मध्यम दल
(2 lateral medium petals)
iii. नोतल (Keel, Carina):- निचले 2 छोटे दल जिनके अंदर पुंकेसर व स्त्रीकेसर बन्द रहते हैं। इस अवस्था में स्वपरागण होता है जिसे निमिलित परागण कहते हैं।
(The lower 2 small petals inside which stamens and carpel remain enclosed. At this stage, self-pollination occurs, which is called cleistogamy.)
· प्रत्येक पुष्प में 10 पुंकेसर होते हैं जो 9 + 1 के दो समूहों में पाये जाते है। अर्थात पुंकेसर द्विसंघी होते हैं। पुंकेसर द्विरूपता प्रदर्शित करते हैं-
(Each flower has 10 stamens which are found in two groups of 9 + 1. That is, stamens are diadelphous. Stamens exhibit dimorphism-)
i. छोटे पुतन्तु वाले पुंकेसर (Short filament stamens):- 4
ii. लम्बे पुतन्तु वाले पुंकेसर (Long filament stamens):- 5 + 1
· प्रत्येक पुष्प में 1 अण्डप होता है जिसमें 2 से 9 बीजाण्ड सीमान्त बीजाण्डन्यास में पाये जाते है।
(Each flower has 1 carpel, in which 2 to 9 ovules which are found in marginal placentation.)
· परागण (Pollination):-
Ø प्राकृतिक रूप से अरहर एक स्वपरागित फसल है।
(Naturally pigeon pea is a self-pollinated crop.)
Ø पुष्प दोपहर 3 – 4 बजे खुलते हैं और अगले दिन दोपहर 2 बजे तक खुले रहते हैं।
(The flowers open at 3 - 4 pm and remain open till 2 pm on the following day.)
Ø अरहर के पुष्पों में निमिलित परागण पाया जाता है अर्थात पुंकेसर व स्त्रीकेसर दोनों पुष्प में बन्द होते हैं। इसलिए अधिकतर स्वपरागण होता है।
(Cleistogamy is found in the flowers of pigeon pea it means both the stamens and carpel are enclosed in the flower. Hence mostly self-pollination occurs.)
Ø अरहर में परपरागण के प्रतिशत का अनुमान लगाने के लिए अनेक आनुवशिक लक्षणों का उपयोग किया जाता है:-
(Several genetic traits are used to estimate the percentage of cross pollination in pigeon pea: -)
i. तने का रंग (हरा व बैंगनी)
[Stem color (green and purple)]
ii. पर्ण का प्रकार (कुंठित व सामान्य)
[Type of leaf (deformed and normal)]
iii. बीज का रंग (सफेद व भूरा)
[Seed color (white and brown)]
iv. वृद्धि स्वभाव (निर्धारित व अनिर्धारित)
[Growth habit (Determined and undetermined)]
v. पुष्प का रंग (पीला व लाल)
[Flower color (yellow and red)]
· फल (Fruit):- पॉड या लैग्यूम (Pod or Legume) जिसमें 2 से 9 तक बीज होते हैं। अरहर बहुत अधिक संख्या में पुष्प उत्पन्न करता है परंतु केवल 10% पुष्प ही पोड्स में परिवर्तित हो पाते हैं।
(Pod or Legume which contain 2 to 9 seeds. Pigeon pea produces a large number of flowers but only 10% of the flowers are converted into pods.)
5. प्रजनन उद्देश्य (Breeding Objectives):-
a. अधिक उपज (Higher Yield):- अरहर में उपज निम्न कारकों पर निर्भर करती है-
(The yield in pigeon pea depends on the following factors-)
i. प्रति पौधा पोड्स की संख्या
(Number of pods per plant)
ii. प्रति पॉड बीजों की संख्या
(Number of seeds per pod)
iii. पॉड का आकार
(Size of pod)
iv. बीज का आकार
(Size of seed)
b. शीघ्र परिपक्वन (Early maturation):-
i. शीघ्र पकने वाली किस्में:- 110 – 140 दिन
(Early maturing varieties:- 110 - 140 days)
ii. मध्यम पकने वाली किस्में:- 140 – 160 दिन
(Medium maturing varieties:- 140 - 160 days)
iii. देरी से पकने वाली किस्में :- 250 – 280 दिन
(Late maturing varieties:- 250 - 280 days)
c. जल भराव सहिष्णुता (Water logging tolerance):- ICRISAT पर अरहर के ऐसे जल भराव सहिष्णु जीनप्रारूप पहचाने गए हैं जो 6 दिन तक जल भराव स्थिति को सहन कर सकते हैं। इस गुण को कृष्य अरहर में स्थानांतरित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे अरहर की फसल की उपज व स्थायित्व बढ़ेगा।
(Water logging tolerant genotypes of pigeon pea have been identified on ICRISAT that can tolerate up to 6 days of water logging conditions. Efforts are being made to transfer this quality to cultivated pigeon pea. This will increase the yield and stability of the pigeon pea crop.)
d. सूखा सहिष्णुता (Drought tolerance):- अर्ध शुष्क भागों में सूखा अरहर की फसल में सबसे अधिक उपज हानि करता है। ICRISAT पर अरहर की 2 सूखा रोधी किस्में विकसित कि गयी हैं –
(Drought in semi-arid parts causes the highest yield loss in pigeon pea crop. Two drought resistant varieties of pigeon pea have been developed on ICRISAT-)
i. ICPL 88039 (शुद्ध वंशक्रम किस्म)
(Pureline variety)
ii. ICPH 8 (संकर किस्म)
(Hybrid variety)
e. गुणवत्ता (Quality):- जंगली जातियों Cajanus scarabaeoides व Cajanus albicans से जीन को कृष्य अरहर में स्थानांतरित कर प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। Saxena ने 1987 में अरहर का एक ऐसा वंशक्रम विकसित किया था जिसमें प्रोटीन की मात्रा व उपज अधिक थे।
(Efforts are being made to increase the protein content by transferring genes from wild species Cajanus scarabaeoides and Cajanus albicans to cultivated pigeon pea. In 1987, Saxena developed a line of pigeon pea with high protein content and yield.)
f. रोग रोधिता (Diease Resistance):- अरहर की फसल पर 100 से भी अधिक रोगजनक संक्रमण कर सकते हैं। परन्तु निम्न 4 रोग अधिकतम उपज हानि करते हैं –
(More than 100 pathogens can cause infection on pigeon pea crop. But the following 4 diseases cause maximum yield loss -)
i. Fusarium wilt:- यह सबसे अधिक क्षति पहुंचाती है। इसकी प्रतिरोधी किस्में ICRISAT पर विकसित कर ली गयी हैं। और अधिक प्रयास किए जा रहे हैं।
(It causes the most damage. Its resistant varieties have been developed on ICRISAT. More efforts are being made.)
ii. Phytophthora blight
iii. Alternaria blight
iv. Sterility Mosaic Virus
g. कीट रोधिता (Insect resistance):- कीट पीड़क अरहर की फसल को 50 – 100% तक हानि पहुंचा सकते हैं।
(Insect pests can cause damage to pigeon pea crop by 50 - 100%.)
i. Pod borer
ii. Pod fly
6. प्रजनन विधियाँ (Breeding Methods):-
a. पुर:स्थापन (Introduction):-
· प्रभात किस्म को IARI से पुर:स्थापित किया गया है।
(Prabhat variety has been introduced from IARI.)
· ICPL 87 को ICRISAT से पुर:स्थापित किया गया है।
(ICPL 87 has been introduced from ICRISAT.)
b. शुद्ध वंशक्रम वरण (Pure line Selection):-
· प्रारम्भिक प्रजनन कार्य इस परिकल्पना पर आधारित था कि अरहर एक स्वपरागित फसल है। बाद में यह खोज हुई कि अरहर एक मुक्त परागित फसल है।
(The initial breeding work was based on the hypothesis that pigeon pea is a self-pollinated crop. Later it was discovered that pigeon pea is a open pollinated crop.)
· तिरुपथुर स्थानीय किस्म से वरण द्वारा एक शुद्ध वंशक्रम किस्म SA1 विकसित की गयी है।
(A pure line variety SA1 has been developed by selection from Tirupathur local variety.)
c. संकरण (Hybridization):-
i. अंतराकिस्मीय संकरण (Inter-varietal hybridization):-
अरहर की किस्मों प्रभात व NY 34 के मध्य संकरण द्वारा VBN 1 किस्म को विकसित किया गया है।
(The VBN 1 variety has been developed by hybridization between Prabhat and NY 34 varieties of pigeon pea.)
ii. अंतराजातीय संकरण (Inter-specific hybridization):-
· Dundas ने 1990 में जंगली जातियों की एक लिस्ट दी जिनका कृष्य अरहर के साथ सफलतापूर्वक क्रॉस कराया जाता है।
(The Dundas gave a list of wild species in 1990 which are successfully crossed with the cultivated pigeon pea.)
Ø Cajanus cajan X Cajanus lineata
Ø Cajanus cajan X Cajanus scaraboides
Ø Cajanus cajan X Cajanus sericeus
· संकरण अधिक सफल होता है जब कृष्य अरहर को मादा जनक के रूप में उपयोग किया जाता है।
(Hybridization is more successful when the cultivated pigeon is used as a female parent.)
· अंतराजातीय संकरण के पश्चात जिब्रैलिक अम्ल व काइनेटिन के उपयोग से पॉड व बीज निर्माण को बढ़ाया जा सकता है।
(Pod and seed formation can be increased by the use of gibberellic acid and kinetin after inter-specific hybridization.)
d. समूह वरण (Mass Selection)
e. समष्टि सुधार (Population Improvement):-
· इसके लिए नर बंध्य वंशक्रमों व आवर्ती वरण विधियों का उपयोग किया जाता है।
(Male sterile lines and recurrent selection methods are used for this.)
· इसमें 2 पादप समष्टियों का उपयोग किया जाता है – एक बीज जनक व दूसरा पराग जनक।
(Two plant populations are used in this - one is the seed parent and the other is the pollen parent.)
· बीज जनक में 1 या 2 आसानी से पहचाने जाने वाले अप्रभावी लक्षण होने चाहिए और पराग जनक में अधिक प्रभावी जीन होने चाहिए।
(The seed parent should have 1 or 2 easily identifiable recessive traits and the pollen parent should have more dominant genes.)
· बीज जनक व पराग जनक को एकांतरित पंक्तियों में बोया जाता है ताकि प्राकृतिक परपरागण को बढ़ाया जा सके।
(The seed parent and pollen parent are sown in alternating rows to increase the natural cross pollination.)
f. उत्परिवर्तन प्रजनन (Mutation Breeding):-
· Co2:- EMS द्वारा उत्परिवर्तन
(Mutation by using EMS)
· Co5:- गामा किरणों के उपयोग से Co1 किस्म में उत्परिवर्तन द्वारा इसे विकसित किया गया है।
(It has been developed by mutation in the Co1 variety using gamma rays.)
· Co6:- गामा किरणों के उपयोग से SA1 किस्म में उत्परिवर्तन द्वारा इसे विकसित किया गया है।
(It has been developed by mutation in the SA1 variety using gamma rays.)
g. हिटेरोसिस प्रजनन (Heterosis Breeding):-
· CoRH1:- MsT21 X ICPL87109
· CoRH2:- MsCo5 X ICPL83027