Types of Crops and Modes of Plant Reproduction
फ़सली पौधों में दो प्रकार का जनन पाया जाता है:-
(Two types of reproduction are found in crop plants:-)
A. अलैंगिक जनन (Asexual reproduction)
B. लैंगिक जनन (Sexual reproduction)
A. अलैंगिक जनन (Asexual reproduction):-
जब संतति पौधे का निर्माण नर व मादा युग्मक के संलयन के बिना होता है तो इसे अलैंगिक जनन कहते हैं। यह 2 प्रकार का होता है-
(When the progeny plant is developed without fusion of male and female gametes, it is called asexual reproduction. It is of two types-)
1. कायिक जनन (Vegetative reproduction)
2. असंग जनन (Apomixis)
1. कायिक जनन (Vegetative reproduction):-
जब जनक पौधे के किसी कायिक भाग से संतति पौधे का विकास होता है तो इसे कायिक जनन कहते हैं। यह कई प्रकार का होता है-
(When the progeny plant develops from any somatic part of the parent plant, it is called vegetative reproduction. It includes-)
i. प्रकन्द (Rhizome):- अदरक, हल्दी
(Ginger, Turmeric)
ii. कन्द (Tuber):- आलू (Potato)
iii. बल्ब (Bulb):- प्याज, लहसुन
(Onion, Garlic)
iv. घनकन्द (Corm):- अरबी (Arbi)
2. असंग जनन (Apomixis):- जब जनक पौधे से भ्रूण व बीज का निर्माण बिना निषेचन के होता है तो इसे असंग जनन कहते हैं। बीजांड की कोई भी कायिक कोशिका ज़ाइगोट के समान कार्य करने लगती है। इसके फलस्वरूप बने संतति पौधे अपने जनकों के क्लोन होते हैं। यह तीन प्रकार का होता है -
(When embryo and seed are produced from the parent plant without fertilization, it is called asexual reproduction. Any vegetative cell of the ovule acts as a zygote. The resulting seedlings are clones of their parents. It is of three types -)
a. अपस्थानिक भ्रूणता (Adventive Embryony)
b. अपबीजाणुकता (Apospory)
c. द्विबीजाणुकता (Diplospory)
a. अपस्थानिक भ्रूणता (Adventive Embryony):- जब भ्रूण का विकास बीजाण्ड की किसी कायिक कोशिका (अध्यावरण या बीजाण्डकाय या निभाग) से बिना भ्रूणकोष बने होता है तो इसे अपस्थानिक भ्रूणता कहते हैं। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है। उदाहरण:- नींबू, आम आदि।
(When the embryo develops from a vegetative cell of ovule (integument or nucellus or challaza) without the formation of embryo sac, it is called adventive embryony. As shown in the diagram below. Examples: Lemon, mango etc.)
b. अपबीजाणुकता (Apospory):- जब भ्रूणकोष का विकास बीजाण्ड की किसी कायिक कोशिका (अध्यावरण या बीजाण्डकाय या निभाग) से बिना अर्धसूत्री विभाजन हुए होता है तो इसे अपबीजाणुकता कहते हैं। अर्थात यहाँ गुरुबीजाणु का निर्माण नहीं होता है। भ्रूणकोष की प्रत्येक कोशिका द्विगुणित होती है। भ्रूणकोष की किसी भी एक कोशिका से भ्रूण बन जाता है। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है। उदाहरण:- Crepis
(When the development of the embryo sac occurs without meiosis from any vegetative cell of ovule (integument or nucellus or challaza), it is called as apospory. It means megaspore is not produced here. Each cell of the embryo sac is diploid. An embryo is developed from any one cell of the embryo sac. As shown in the diagram below. Example: - Crepis)
c. द्विबीजाणुकता (Diplospory):- जब भ्रूणकोष का विकास द्विगुणित गुरुबीजाणु से होता है तो इसे द्विबीजाणुकता कहते हैं। गुरुबीजाणु का निर्माण बिना अर्धसूत्री विभाजन के होने के कारण यह द्विगुणित होता है। अत: भ्रूणकोष की प्रत्येक कोशिका भी द्विगुणित होती है। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है।
(When the embryo sac develops from a diploid megaspore, it is called as diplospory. Megaspore is diploid because it is formed by mitosis instead of meiosis. Therefore, each cell in the embryo sac is also diploid. As shown in the diagram below.)
भ्रूण का विकास निषेचन के बिना होता है। भ्रूण का विकास भ्रूणकोष की कौनसी कोशिका से होता है, इस आधार पर द्विबीजाणुकता 2 प्रकार की होती है-
(Embryo development occurs without fertilization. Depending upon the embryo develops from which cell of the embryo sac, there are 2 types of diplospory -)
i. अनिषेकजनन (Parthenogenesis)
ii. अपयुग्मन (Apogamy)
i. अनिषेकजनन (Parthenogenesis):- जब भ्रूण का विकास अण्ड कोशिका से होता है तो इसे अनिषेकजनन कहते है। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है। उदाहरण:- Taraxacum (घास)
[When the embryo develops from the egg cell, it is called parthenogenesis. As shown in the diagram below. Example: - Taraxacum (grass)]
ii. अपयुग्मन (Apogamy):- जब भ्रूण का विकास प्रतिमुखी कोशिका या सहायक कोशिका से होता है तो इसे अपयुग्मन कहते हैं। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है। उदाहरण:- प्याज
(When the embryo develops from the antipodal cell or the synergid, it is called apogamy. As shown in the diagram below. Example: - Onion)
B. लैंगिक जनन (Sexual reproduction, Amphimixis):-
जब जनक पौधों के नर व मादा युग्मकों के संलयन से भ्रूण व बीज का निर्माण होता है तो इसे लैंगिक जनन कहते हैं। फ़सली पौधों में लैंगिक जनन के लिए पुष्प होता है। जिसकी संरचना नीचे diagram में दी गयी है। पुष्प में नर जननांग को पुंकेसर व मादा जननांग को अंडप कहते हैं।
(When embryo and seed are developed by the fusion of male and female gametes of parent plants, it is called sexual reproduction. The crop plants have flowers for sexual reproduction. The structure of which is given in the diagram below. The male reproductive organs in the flower are called stamens and the female reproductive organs are called carpels.)
1. लघुबीजाणुजनन (Microsporogenesis)
2. गुरुबीजाणुजनन (Megasporogenesis)
3. परागण (Pollination)
4. निषेचन (Fertilization)
5. भ्रूण, बीज व फल का निर्माण (Embryo, Seed and Fruit formation)
1. लघुबीजाणुजनन (Microsporogenesis):- पुंकेसर में 2 भाग पुतन्तु व परागकोष होते हैं। पुंकेसर के परागकोषो में परागकणों का निर्माण होता है। प्रत्येक परागकोष में चारों कोनों पर चार कोष्ठक होते हैं जिन्हें लघुबीजाणुधानियाँ कहते हैं। प्रत्येक लघुबीजाणुधानी के अंदर द्विगुणित पराग मातृ कोशिका होती है। प्रत्येक पराग मातृ कोशिका में एक अर्धसूत्री विभाजन होने से लघुबीजाणु चतुष्क बनता है जिसमें 4 लघुबीजाणु होते हैं। प्रत्येक लघुबीजाणु के केंद्रक में एक समसूत्री विभाजन होने से दो केंद्रक बन जाते हैं। इस प्रकार प्रत्येक परागकण में 2 नर केंद्रक होते हैं। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है।
(The stamen has 2 parts filament and anther. Pollens are formed in the anthers of stamens. Each anther has four chambers at its four corners called microsporangia. Each microsporangium contain many diploid pollen mother cells. Each pollen mother cell undergo a meiosis division which results in the formation of a microspore tetrad consisting of 4 microspores. There is a mitotic division in the nucleus of each microspore, forming two nuclei. Thus each pollen has 2 male nuclei. As shown in the diagram below.)
2. गुरुबीजाणुजनन (Megasporogenesis):- अंडप में 3 भाग वर्तिकाग्र, वर्तिका व अंडाशय होते हैं। अंडप के अंडाशय में बीजांड लगे रहते हैं। बीजाण्ड को ही गुरुबीजाणुधानी कहा जाता है। बीजाण्डकाय की बीजाण्डद्वार के पास स्थित कोई एक कोशिका गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में परिवर्तित हो जाती है। इस गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में एक अर्धसूत्री विभाजन होने से रेखीय गुरुबीजाणु चतुष्क बनाता है जिसमें 4 गुरुबीजाणु होते हैं। ऊपर के तीन गुरुबीजाणु नष्ट हो जाते हैं व नीचे का केवल एक गुरुबीजाणु जीवित व सक्रिय रहता है। इस जीवित व सक्रिय गुरुबीजाणु के केंद्रक में 3 क्रमिक समसूत्री विभाजन होने से 8 केन्द्रकीय कोशिका बनती है जिसमें रूपान्तरण होने से 8 केन्द्रकीय व 7 कोशिकीय भ्रूणकोष बनाता है। इस प्रकार प्रत्येक बीजांड में एक भ्रूणकोष होता है जिसके अंदर 2 ध्रुवीय केंद्रक व एक अण्ड कोशिका मुख्य भाग होते हैं जो आगे चलकर निषेचन में भाग लेते हैं। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है।
(The carpel consists of 3 parts stigma, style and ovary. Ovules are present in the ovaries of the carpels. The ovule is called megasporangium. A single cell located near the micropyle of the ovule is modified into a megaspore mother cell. This megaspore mother cell undergoes meiosis and creates a linear megaspore tetrad, which consists of 4 megaspores. The top three megaspores are destroyed and only one megaspore below remains alive and active. The nucleus of this living and active megaspore undergoes 3 successive mitotic divisions and forms 8 nucleated cell, which get modified and develop into 8 nucleated and 7 celled embryo sac. Thus each ovule contains an embryo sac inside which there are 2 polar nuclei and an egg cell are most important, which subsequently participate in fertilization. As shown in the diagram below.)
3. परागण (Pollination):- परागकणों का पुंकेसर के परागकोषों से निकलकर अंडप के वर्तिकाग्र तक पहुँचने की प्रक्रिया को परागण कहते हैं। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है।
(The process of transfer of pollens from the anther of stamens to the stigma of the carpel, is called pollination. As shown in the diagram below.)
4. निषेचन (Fertilization):- अंडप की वर्तिकाग्र पर परागकण का अंकुरण होता है। परागनाल वर्तिकाग्र को भेदकर वर्तिका से होती हुई अंडाशय में बीजांड के अन्दर भ्रूणकोष तक पहुँच जाती है। दोनों नर केंद्रक भ्रूणकोष में छोड़ दिये जाते है। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है।
(Pollen germinates on to the stigma of the carpel. Pollen tube penetrates the stigma, passing through the style and reaches the embryo sac inside the ovule in the ovary. Both male nuclei are released into the embryo sac. As shown in the diagram below.)
a. द्विनिषेचन (Double Fertilization):-
एक नर केंद्रक अण्ड कोशिका से संलयन करके द्विगुणित जाइगोट बनाता है तथा दूसरा नर केंद्रक 2 ध्रुवीय केंद्रकों से संलयन करके त्रिगुणित PEN बनाता है।
[One male nucleus fused to the egg cell to form a diploid zygote and the other male nucleus fused to 2 polar nuclei to form a tiploid PEN (Primary Endosperm Nucleus). As shown in the diagram below.]
b. त्रिकसंलयन (Triple Fusion):-
एक नर केंद्रक व 2 ध्रुवीय केंद्रक संलयन करके त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक (PEN) बनाते हैं। इस प्रकार यहाँ तीन केंद्रक संलयन करते हैं। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है।
(A male nucleus and 2 polar nuclei are fused together to form a triploid primary endosperm nucleus (PEN). Thus here three nuclei are fused. As shown in the diagram below.)
5. भ्रूण, बीज व फल का निर्माण (Embryo, Seed and Fruit formation):-
द्विगुणित ज़ाइगोट भ्रूण में परिवर्धित हो जाता है। त्रिगुणित PEN भ्रूणपोष में परिवर्धित हो जाता है जो भ्रूण को पोषण प्रदान करने का कार्य करता है। सम्पूर्ण बीजांड बीज में परिवर्तित हो जाता है। सम्पूर्ण अंडाशय फल में परिवर्तित हो जाता है। जैसा कि नीचे diagram में प्रदर्शित किया गया है।
(The diploid zygote develops into the embryo. The triploid PEN is developed into endosperm which provide nourishment to the developing embryo. The entire ovule is turns into a seed. The entire ovary turns into a fruit. As shown in the diagram below.)