Advancements and Future Prospects of Micro-propagation
सूक्ष्मप्रवर्धन की आधुनिकता व भविष्य में संभावनाएँ (Advancements and Future Prospects of Micro-propagation):-
Ø वर्तमान में ऊत्तक व कोशिका संवर्धन तकनीक के द्वारा विश्व भर में 180 – 200 मिलियन पौधे उत्पन्न किए जाते हैं।
(At present, 180 - 200 million plants are produced worldwide through tissue and cell culture techniques.)
Ø पारंपरिक पादप उत्पादन को बड़े पैमाने पर सूक्ष्मप्रवर्धन के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है।
(Traditional plant production has been largely replaced by micro propagation.)
Ø निम्न पौधों का उत्पादन वर्तमान में सूक्ष्म प्रवर्धन के द्वारा किया जाने लगा है –
(The following plants are currently being produced by micro propagation -)
i. सजावटी पौधे (Ornamental plants)
ii. फल वृक्ष व छोटे फल (Fruit trees and small fruits)
iii. सब्जियाँ (Vegetables)
iv. कृष्य पौधे (Agricultural plants)
Ø निम्न उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए इन पौधों का उत्पादन सूक्ष्मप्रवर्धन के द्वारा किया जाता है –
(These plants are produced by micro propagation to achieve the following objectives -)
i. उच्च उत्पादकता (Higher productivity)
ii. रोगजनकों को हटाना (Elimination of pathogens)
iii. नये जीन प्ररूपों का तीव्र गुणन
(Rapid multiplication of new genotypes)
iv. कायिक क्लोनीय व प्रेरित विविधताओं का वरण
(Selection of somaclonal and induced variants)
v. जर्मप्लाज्म का संरक्षण
(Preservation of germplasm)
vi. लम्बे समय तक संग्रहण
(Long term storage)
Ø लाभकारी अनुप्रयोग के लिए उच्च पुनरुद्धभवन दरों को बनाए रखना आवश्यक होता है। परन्तु निम्न कारणों से यह सीमित हो सकता है –
(It is necessary to maintain high regeneration rates for beneficial application. But it may be limited due to the following reasons -)
i. अंगजनन योग्यता की कमी (Lack of organogenic competence)
ii. आनुवंशिक अस्थायित्व (Genetic instability)
iii. कार्यिकीय कुरूपता प्रक्रिया (Vitrification phenomenon)
Ø कोशिकीय स्तर पर अंग विभेदन का नियमन पूर्ण रूप से खोजा नहीं गया है। यध्यपि कुछ ऐतिहासिक गुण व जैवरासायनिक चिन्हक (जैसे विशिष्ट प्रोटीन) अंगजनन के प्रारम्भिक चरणों को दर्शाते हैं।
(Regulation of organ differentiation at the cellular level has not been fully explored. However, some historical properties and biochemical markers (such as specific proteins) indicate early stages of organogenesis.)
Ø उपयुक्तता से नियंत्रित जैव रिएक्टर (Optimally controlled bioreactors):- निलंबन संवर्धन में कायिक भ्रूणजनन के लिए ये वाणिज्यिक सूक्ष्मप्रवर्धन में बहुत कुशल तंत्र माने जाते हैं।
(These are considered to be very efficient systems in commercial micro propagation for somatic embryogenesis in suspension culture.)
Ø सूक्ष्मप्रवर्धन निम्न दो आधुनिक तकनीकों का आवश्यक घटक बन चुका है –
(Micro propagation has become an essential component of the following two modern techniques -)
i. आनुवंशिक अभियांत्रिकी (Genetic Engineering)
ii. जैव प्रौधौगिकी (Biotechnology)
Ø ट्रान्सजैनिक पौधों के उत्पादन में 2 चरण होते हैं –
(There are 2 steps in the production of transgenic plants -)
i. आनुवंशिक रूपान्तरण (Agrobacterium मध्यस्थ या जीन गन विधि)
[Genetic transformation (Agrobacterium mediated or gene gun method)]
ii. जैविक व अजैविक प्रतिबल से बचाव के लिए कृत्रिम संवर्धन
(In vitro culture to protect against biotic and abiotic stresses)
Ø पिछले दो दशकों में जीनप्रारूप, क्लोन्स या उनके पूर्वजों को पहचानने के लिए आण्विक तकनीकों का उपयोग किया गया है।
(Molecular techniques have been used in the last two decades to identify genotypes, clones, or their ancestors.)
Ø सूक्ष्मप्रवर्धन का उपयोग कृत्रिम रूप से विकसित उत्पादों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए भी किया जा रहा है –
(Micro propagation is also being used for mass production of artificially developed products -)
i. सुगंधित पदार्थ (Flavorings)
ii. औषधीय पदार्थ (Pharmaceuticals)
iii. विभिन्न अन्य स्वास्थ्य लाभकारी पादप घटक
(Various other health beneficial plant components)