2012 - 13 Solved Old Paper (PBG - 4321)
1. B - line:- It is the male fertile line which is used as the male parent. It is the maintainer line that serves to maintain the male sterile A-line. B-line is isogenic to A-line. To maintain the A-line, its cross is made with the B-line.
B – line:- यह नर उर्वर वंशक्रम है जिसे नर जनक के रूप में उपयोग किया जाता है। यह अनुरक्षक line है जो नर बंध्य A – line को अनुरक्षित करने का कार्य करती है। A व B lines दोनों एक दूसरे के समजीनी होती हैं। A – line के अनुरक्षण के लिए इसका क्रॉस B – line के साथ कराया जाता है।
2. Tetrazolium test:- This test shows that what percentage of seeds in the seed lot are viable which can be expected to germinate. This test is used for quick detection of seed viability. In this test a colourless chemical 2,3,5 - Triphenyl tetrazolium chloride or bromide is used. When this chemical is reduced by living cells, it develops red color.
टेट्राजोलियम परीक्षण:- इस परीक्षण से यह पता चलता है कि बीज ढेर के कितने प्रतिशत बीज जीवनक्षम हैं जिनका अंकुरित होना अपेक्षित किया जा सकता है। इस परीक्षण का उपयोग बीज जीवनक्षमता का तुरन्त पता लगाने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण में एक रंगहीन रसायन 2,3,5 – Triphenyl tetrazolium chloride या bromide का उपयोग किया जाता है। जब इस रसायन का जीवित कोशिकाओं द्वारा अपचयन होता है तो यह रसायन लाल रंग विकसित कर लेता है।
3. Physical purity of seed:- It is the freedom of crop seeds from other crop seeds, weed seeds and inert matter. Physical purity percentage can be calculated using the following formula:-
भौतिक शुद्धता:- यह फसल बीज की अन्य फसल बीजों, खरपतवार बीजों व अक्रिय पदार्थों से मुक्तता है। निम्न सूत्र के उपयोग से भौतिक शुद्धता प्रतिशत निकाल सकते हैं:-
4. Isolation distance:- It is the minimum separation required between two or more varieties of the same species for the purpose of keeping seed purity.
- Isolation distance is used to prevent contamination by the following three factors:-
i. Contamination by undesired pollination
ii. Mixing with other seeds at the time of harvesting and threshing
iii. Spread of diseases
- The isolation distance is determined by the type of pollination. Isolation distance varies in foundation seed production and certified seed production for each seed crop.
पृथक्करण दूरी:- यह बीज की शुद्धता बनाए रखने के उद्देश्य से एक ही जाति की दो या दो से अधिक किस्मों के बीच आवश्यक न्यूनतम पृथक्करण है।
- निम्न तीन कारकों द्वारा संदूषण को रोकने के लिए पृथक्करण दूरी का उपयोग किया जाता है:-
i. अवांछित परपरागण द्वारा संदूषण
ii. कटाई व गहाई के समय अन्य बीजों से मिश्रण
iii. रोगों का फैलाव
- पृथककरण दूरी परागण के प्रकार द्वारा निर्धारित होती है। प्रत्येक बीज फसल के लिए आधार बीज उत्पादन व प्रमाणीकृत बीज उत्पादन में पृथक्करण दूरी अलग – अलग होती है।
5. Seed sampling:- This is a small amount of seeds taken from seed lot for testing the quality. It represents the quality of whole seed lot. This small amount of seed is known as seed sample and the process is called as seed sampling. Seed sample must contain all the components similar the seed lot.
बीज नमूनाकरण:- बीज ढेर से बीज की छोटी मात्र को लेकर उसकी गुणवत्ता की जांच की जाती है जो पूरे ढेर की गुणवत्ता को दर्शाता है। इस छोटी मात्र को ही सीड संपले कहा जाता है। इस प्रक्रिया को seed sampling कहते हैं। seed sample में उपस्थित सभी घटक उसी अनुपात में उपस्थित होने चाहिए, जैसे की वे पूरे ढेर में हैं।
6. Seed drying:- The process of evaporation of moisture from the seed surface is called seed drying. The moisture present in the seed gradually comes to the surface of the seed. Seed drying is essential for maintaining the viability and vigor of the seed.
बीज सुखाई:- बीज सतह से नमी के वाष्पीकरण की प्रक्रिया को बीज सुखाई कहते हैं। बीज के अन्दर उपस्थित नमी धीरे – धीरे बीज की सतह पर आ जाती है। बीज शुष्कन बीज की जीवनक्षमता व ओज को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
7. Seed Inspector:- The Seed Inspector is appointed under section of the Seeds Act, 1966. It is appointed by the state government. It is necessary to implement seed rules for the control of seed quality. It is the responsibility of the seed inspector to implement the various provisions related to seed. The 4 sections of the Seed Act are related with the Seed Inspector:-
बीज निरीक्षक:- बीज निरीक्षक की नियुक्ति बीज अधिनियम, 1966 की धारा के तहत की जाती है। इसकी नियुक्ति राज्य सरकार के द्वारा की जाती है। बीज की गुणवत्ता के नियंत्रण के लिए बीज नियमों को लागू करना आवश्यक है। बीज से संबन्धित विभिन्न प्रावधानों को लागू करने का उत्तरदायित्व बीज निरीक्षक का होता है। बीज अधिनियम की 4 धाराएँ बीज निरीक्षक से संबन्धित हैं:-
8. R.S.S.C.:- Rajasthan State Seeds Corporation Limited is an unlisted public company incorporated on 28 March, 1978. It is classified as a State government company and is located in Jaipur, Rajasthan. The company provides crop production and seed processing services. It grows bajra, moong, cotton, groundnut, soybean, paddy, wheat, coriander, mustard, taramira, bottle gourd, carrot, pea, and maize crops.
R.S.S.C.:- राजस्थान राज्य बीज निगम लिमिटेड 28 मार्च, 1978 को निगमित एक गैर-सूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनी है। इसे राज्य सरकार की कंपनी के रूप में वर्गीकृत किया गया है और यह जयपुर, राजस्थान में स्थित है। कंपनी फसल उत्पादन और बीज संसाधन सेवाएं प्रदान करती है। यह बाजरा, मूंग, कपास, मूंगफली, सोयाबीन, धान, गेहूं, धनिया, सरसों, तारामीरा, लौकी, गाजर, मटर और मक्का की फसलें उगाता है।
9. Rouging:- The process of removing off-type plants from the seed field is called Rouging. This is a positive selection. Off-type plants should be removed before flowering so that they do not pollinate. For this, regular supervision of trained person is necessary.
रोगिंग:- ऑफ प्रकार पौधों को बीज खेत से हटाने की प्रक्रिया को रोगिंग कहते हैं। यह धनात्मक वरण होता है। ऑफ प्रकार पौधों को पुष्पन से पहले ही रोगिंग के द्वारा हटा देना चाहिए ताकि वे परागण न कर सकें। इसके लिए प्रशिक्षित व्यक्ति का नियमित पर्यवेक्षण आवश्यक है।
10. Seed germinator:- It is a machine used for germination of different types of seeds in laboratories. These machines are specifically designed growth chambers that create artificial environment using temperature, humidity and light responsible for germination of seeds.
बीज अंकुरक:- यह प्रयोगशालाओं में विभिन्न प्रकार के बीजों के अंकुरण के लिए उपयोग की जाने वाली मशीन है। ये मशीनें विशेष रूप से तैयार किए गए वृद्धि कक्ष होते हैं जो बीजों के अंकुरण के लिए उत्तरदायी तापमान, आर्द्रता और प्रकाश का उपयोग करके कृत्रिम वातावरण बनाते हैं।
11. Objectionable weed:- These are weeds which are harmful in one or more of the following ways -
i. The size and shape of their seeds are so similar to that of the crop seed that it is difficult to remove.
ii. Their growth habit is detrimental to the growing crop due to competing effect.
Eg. Argemone maxicana for mustard, Convolvulus arvensis for wheat, Cuscuta for lucerne etc.
आपत्तीजनक खरपतवार:- ये वे खरपतवार हैं जो निम्नलिखित में से एक या अधिक तरीकों से हानिकारक होते हैं -
i. इनके बीजों का आकार और आकृति फसल के बीज के समान होती है जिसे निकालना मुश्किल होता है।
ii. उनका वृद्धि स्वभाव प्रतिस्पर्धात्मक प्रभाव के कारण बढ़ती फसल के लिए हानिकारक है।
उदा. सरसों के लिए Argemone maxicana, गेहूँ के लिए Convolvulus arvensis, लूसर्न के लिए Cuscuta आदि।
12. Air screen machine:- It uses 2 air blasts and 2 sieves (Screens).
- 2 air blasts separate the dust and light straw from the seeds.
1st Sieve:- It has a large pore size. It separates large unwanted substances from the seeds.
2nd Sieve:- Its pore size is small. It separates small unwanted seeds. It is also called Grading screen.
एयर सक्रीन मशीन:- इसमें 2 Air blasts व 2 sieves (Screens) का उपयोग किया जाता है।
- 2 Air blasts धूल व हल्के भूसे को बीजों से पृथक कर देते हैं।
1st Sieve:- इसका छिद्र आकार बड़ा होता है। यह बड़े अवांछित पदार्थों को बीज से पृथक करती है।
2nd Sieve:- इसका छिद्र आकार छोटा होता है। यह छोटे अवांछित बीजों को पृथक करती है। इसे Grading screen भी कहते हैं।
13. Seed testing laboratory:- 1 or more SSTLs are established by the state government or any STL is declared as SSTL. The Government of Rajasthan has established 4 seed testing laboratories:-
i. Sri Ganganagar
ii. Jodhpur
iii. Durgapura (Jaipur)
iv. Kota
बीज परीक्षण प्रयोगशाला:- राज्य सरकार के द्वारा 1 या अधिक SSTLs की स्थापना की जाती है अथवा किसी भी STL को SSTL के रूप में घोषित कर दिया जाता है। राजस्थान सरकार ने 4 बीज परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना की है:-
i. श्रीगंगानगर
ii. जोधपुर
iii. दुर्गापुरा (जयपुर)
iv. कोटा