2014 - 15 Solved Old Paper (PBG - 4321)


1. Seed seeping:- It is an effective way of waking up the sleeping embryo inside a large, hard seed. Many large seeds will germinate in three or four days after they've soaked, whereas seeds that didn't soak in water before planting may take as long as two weeks to sprout.
बीज सीपिंग:- यह एक बड़े, सख्त बीज के अंदर सोए हुए भ्रूण को जगाने का एक प्रभावी तरीका है। कई बड़े बीज भीगने के बाद तीन या चार दिनों में अंकुरित हो जाते हैं, जबकि जो बीज बोने से पहले पानी में भिगोए नहीं गए होते उन्हें अंकुरित होने में दो सप्ताह तक का समय लग सकता है।

2. Synthetic varieties:- When more than one inbreds with high GCA are hybridized in all possible combinations and their seeds are mixed in equal amounts, it is called synthetic variety. These varieties are produced in cross pollinated crops.
संश्लिष्ट किस्म:- जब एक से अधिक उच्च GCA वाले अंत: प्रजातों का आपस में सभी संभव संयोजनों में संकरण कराकर समान मात्रा में बीजों को मिश्रित कर लिया जाता है तो इसे प्रकार बनी किस्म को संश्लिष्ट किस्म कहते हैं। ये किस्में परपरागित फसलों में उत्पादित की जाती हैं।

3. Supplementary pollination:- It serves to enhance the outcrossing rate in order to increase seed set. It should be done by shaking the pollen parent with the help of ropes or sticks so that the pollen is shed effectively on A line plants. This is generally followed in Rice Hybrid seed production.
संपूरक परागण:- यह संकर बीज उत्पादन को बढ़ाने के लिए परपरागण की दर को बढ़ाने का कार्य करता है। पराग जनक को रस्सियों या डंडों की सहायता से हिलाते हैं ताकि परागकण A लाइन के पौधों पर प्रभावी ढंग से फैलाए जा सकें। आमतौर पर धान के संकर बीज उत्पादन में इसका उपयोग किया जाता है।

4. DUS test:- It is a way of determining whether a newly bred variety differs from existing varieties within the same species (the Distinctness part), whether the characteristics used to establish Distinctness are expressed uniformly (the Uniformity part) and that these characteristics do not change over subsequent generations (the Stability part). A DUS test is usually conducted in the field or glasshouse over two successive growing seasons.
DUS परीक्षण:- DUS परीक्षण यह निर्धारित करने के लिए करते हैं कि क्या एक नई विकसित किस्म एक ही जाति की अन्य किस्मों से भिन्न होती है (विभिन्नता), क्या नई विकसित किस्म के सभी लक्षण समान रूप से अभिव्यक्त हो रहे हैं (एकरूपता) और ये लक्षण बाद की पीढ़ियों में नहीं बदल रहे हैं (स्थिरता)। एक DUS परीक्षण आमतौर पर दो लगातार वृद्धि कालों में खेत या कांच घर में आयोजित किया जाता है।

5. Seed blending:- A seed mixture or seed blend is an intentionally produced, randomly mixed set of two or more kinds of crop seed. One component is toxic seed, such as transgenic insecticidal seed, and the other component is non-toxic seed of the same crop.
बीज समिश्रण:- एक बीज मिश्रण दो या दो से अधिक प्रकार के फसल बीज का एक जानबूझकर उत्पादित मिश्रित सेट है। एक घटक विषाक्त बीज होता है, जैसे ट्रांसजेनिक कीटनाशक बीज, और दूसरा घटक एक ही फसल का गैर-विषाक्त बीज होता है।

6. Seed inspection:- The seed inspector takes samples of the seed from the seed lot and sends it to the concerned SSTL. SSTL carries out tests related to seed quality. The SSTL creates the report and sends it to the seed inspector. If the seed lot conforms to the minimum seed standards then it is accepted for certification. If it does not met minimum standards, it is rejected.
बीज निरीक्षण:- बीज निरीक्षक बीज ढेर में से बीज के नमूने लेकर संबन्धित SSTL को भेजता है। SSTL में बीज की गुणवत्ता से संबन्धित परीक्षण किए जाते हैं। SSTL रिपोर्ट बनाकर बीज निरीक्षक को भेजती है। यदि बीज ढेर न्यूनतम बीज मानकों के अनुरूप होता है तो इसे प्रमाणीकरण के लिए स्वीकार कर लिया जाता है। यदि कोई कमी हो तो इसे निरस्त कर दिया जाता है।

7. Seed marketing:- To arrange the production of seeds according to the demand and distribution of seeds on the basis of need, so that every farmer can get the required high quality seeds at reasonable prices.
बीज विपणन:- माँग के अनुसार बीज का उत्पादन तथा आवश्यकता के आधार पर बीज का वितरण करने के लिए एक ऐसी व्यवस्था करना जिससे प्रत्येक किसान को आवश्यकतानुसार उच्च गुणवत्ता सम्पन्न बीज उचित मूल्य पर सुलभता से मिल सके।

8. Condtioning:- The process of removing these unwanted materials from a seed lot, along with overall improvement of seed quality, is known as seed conditioning.
अनुकूलन:-  बीज की गुणवत्ता में समग्र सुधार के साथ-साथ बीज ढेर से अवांछित सामग्रियों को हटाने की प्रक्रिया को बीज अनुकूलन के रूप में जाना जाता है।

9. Patent:- It is a government grant to an inventor of the right to exclude others from making, using, or selling an invention, usually for a limited period.
एकस्व:- यह एक आविष्कारक को एक सरकारी अनुदान है जो आम तौर पर सीमित अवधि के लिए आविष्कार करने, उपयोग करने या बेचने से दूसरों को रोकता है।

10. Central seed certification board:- In 1972, the Seeds Act was amended and a new section 8A was added. The Central Government established the CSCB under this section. CSCB gives advise to the Central Government and State Government in matters related to certification. It helps in working in coordination with SSCAs.
केन्द्रीय बीज प्रमाणीकरण परिषद:- 1972 में बीज अधिनियम में संशोधन किया गया तथा एक नई धारा 8A जोड़ी गई। इस धारा के अंतर्गत केंद्र सरकार ने CSCB की स्थापना की। CSCB केन्द्र सरकार व राज्य सरकार को प्रमाणीकरण से संबन्धित मामलों में सलाह देने का कार्य करता है। यह SSCAs के साथ समनव्य में कार्य करने में सहायता करता है।

11. Genetic purity:- It refers to trueness to type. It is the percentage of characters of a variety which are described by the plant breeder.
आनुवंशिक शुद्धता:- यह आदर्श पादप के लिए सत्यता को संदर्भित करता है। यह एक किस्म के लक्षणों का प्रतिशत है जिसका वर्णन पादप प्रजनक द्वारा किया जाता है।

12. Seed technology:- The branch of agriculture deals with the study of production, processing, storage, testing and distribution of improved and high quality seed, is called seed technology.
बीज प्रौधौगिकी:- कृषि विज्ञान की वह शाखा जिसमें उन्नत और उच्च गुणवत्ता सम्पन्न बीजों के उत्पादन, संसाधन, भंडारण, परीक्षण व वितरण का अध्ययन किया जाता है, बीज प्रौधौगिकी कहलाती है।

13. Air screen machine:- It uses 2 air blasts and 2 sieves (Screens).
- 2 air blasts separate the dust and light straw from the seeds.
1st Sieve:- It has a large pore size. It separates large unwanted substances from the seeds.
2nd Sieve:- Its pore size is small. It separates small unwanted seeds. It is also called Grading screen.
एयर सक्रीन मशीन:- इसमें 2 Air blasts व 2 sieves (Screens) का उपयोग किया जाता है।
- 2 Air blasts धूल व हल्के भूसे को बीजों से पृथक कर देते हैं।
1st Sieve:- इसका छिद्र आकार बड़ा होता है। यह बड़े अवांछित पदार्थों को बीज से पृथक करती है।
2nd Sieve:- इसका छिद्र आकार छोटा होता है। यह छोटे अवांछित बीजों को पृथक करती है। इसे Grading screen भी कहते हैं।