2017 - 18 Solved Old Paper (PBG - 4321)


1. Seed technology:- The branch of agriculture deals with the study of production, processing, storage, testing and distribution of improved and high quality seed, is called seed technology.
बीज प्रौधौगिकी:- कृषि विज्ञान की वह शाखा जिसमें उन्नत और उच्च गुणवत्ता सम्पन्न बीजों के उत्पादन, संसाधन, भंडारण, परीक्षण व वितरण का अध्ययन किया जाता है, बीज प्रौधौगिकी कहलाती है।

2. Seed quality:- The germination capacity, seed vigor, seed health, seed moisture, physical purity and genetic purity of seed of improved variety is combinedly known as seed quality.
बीज गुणत्ता:- उन्नत किस्म के बीज की अंकुरण क्षमता, बीज ओज, बीज स्वास्थ्य, बीज नमी, भौतिक शुद्धता व आनुवंशिक शुद्धता को सम्मिलित रूप से बीज गुणत्ता कहते हैं।

3. Composite variety:- When more than one superior inbreds are crossed in all possible combinations and equal amount of seeds are mixed together, it is called a composite variety. These varieties are produced in cross-pollinated crops.
समिश्र किस्म:- जब एक से अधिक उत्कृष्ट अंत: प्रजातों का आपस में सभी संभव संयोजनों में संकरण कराकर समान मात्रा में बीजों को मिश्रित कर लिया जाता है तो इसे प्रकार बनी किस्म को समिश्र किस्म कहते हैं। ये किस्में परपरागित फसलों में उत्पादित की जाती हैं।

4. Real value of seed:- The percentage of seeds that produce plants during seed certification is called RV.
- It is also called Utility percentage of Seed.
- The value of RV for cotton is 65% which is minimum in the field crops.
- The value of RV for maize is 90%, which is maximum in the field crops.
Critical RV:- 70% value of RV is considered critical.
i. Seeds or seed lot for which the RV value is less than 70% is failed for seed certification.
ii. Seeds or seed lot for which the RV value is more than 70% is passed for seed certification.
बीज का वास्तविक मान:- बीज प्रमाणीकरण के दौरान किसी किस्म के जितने प्रतिशत बीज पौधे उत्पन्न करते हैं, RV कहलाता है।
- इसे Utility percentage of Seed भी कहते हैं।
- कपास के लिए RV का मान 65% होता है जो Field crops में न्यूनतम है।
- मक्का के लिए RV का मान 90% होता है जो Field crops में अधिकतम है।
Critical RV:- RV के 70% मान को नाजुक माना जाता है।
i. ऐसे बीज या बीज ढेर जिनके लिए RV का मान 70% से कम होता है उन्हें बीज प्रमाणीकरण के लिए फेल किया जाता है।
ii. ऐसे बीज या बीज ढेर जिनके लिए RV का मान 70% से अधिक होता है उन्हें बीज प्रमाणीकरण के लिए पास किया जाता है।

5. Grow out test:- In this test, test samples and standard samples are grown together in the field. The morphological characteristics of both are compared during the entire growth period from seed germination to the complete maturation stage. Genetic purity is calculated by finding the percentage of similar traits.
ग्रो आउट परीक्षण:- इस परीक्षण में परीक्षण नमूने व मानक नमूने को साथ – साथ खेत में उगाया जाता है। बीज अंकुरण से लेकर सम्पूर्ण परिपक्व अवस्था तक सम्पूर्ण वृद्धि काल के दौरान दोनों के आकारिकीय   लक्षणों की तुलना की जाती है। एक समान लक्षणों का प्रतिशत निकालकर आनुवंशिक शुद्धता की गणना करते हैं।

6. Seed certification:- It is a process that effectively controls all the factors that deteriorate seed quality during seed production. It ensures the physical identity and genetic purity of the seed. Seed certification has been legally sanctioned for quality control in seed production.
बीज प्रमाणीकरण:- यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो बीज प्रमाणीकरण के दौरान बीज गुणवत्ता का अपक्षय करने वाले सभी कारकों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करती है। यह बीज की भौतिक पहचान व आनुवंशिक शुद्धता को सुनिश्चित करता है। बीज उत्पादन में गुणवत्ता नियंत्रण के लिए बीज प्रमाणीकरण को विधिवत रूप से स्वीकृत किया गया है।

7. National seed corporation:- It was initiated in 1961 under the ICAR. Later on 7 March 1963 it was registered as a limited that is National Seed Corporation limited. It started functioning from July 1963.
Objective of NSC:- 
i. To promote the development of seed industry in India. 
ii. To produce and supply the foundation seeds of various crops. 
iii. Now a day its started production of breeder seed also.
राष्ट्रीय बीज निगम (NSC):- इसकी शुरुआत 1961 में ICAR के तहत हुई थी। बाद में 7 मार्च 1963 को इसे एक लिमिटेड के रूप में पंजीकृत किया गया जो कि राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड है। इसने जुलाई 1963 से कार्य करना शुरू किया।
NSC के उद्देश्य:- 
i. भारत में बीज उध्योग के विकास को बढ़ावा देना।
ii. विभिन्न फसलों का आधार बीज उत्पादन और आपूर्ति करना।
iii. अब इसने प्रजनक बीज का उत्पादन भी शुरू कर दिया है।

8. Working sample:- This is a small amount of seeds taken from submitted sample and is used for quality testing inside the laboratory.
कार्यकारी नमूना:- यह submitted sample का एक छोटा भाग है जिससे गुणवत्ता परीक्षण किए जाते है। यह प्रयोगशाला में लिया जाता है। इसका सामान्य भार 25 ग्राम होता है।

9. Certified seed:-
- It is produced by propagation of foundation or registered seed.
- In India, it is produced by the propagation of foundation seed.
- It is normally available to farmers in the market.
- It is the cheapest because it has the lowest genetic purity. But still it is of satisfactory level. It allows contamination of up to 5%.
- It is certified by the SSCA (State Seed Certification Agency). These are produced under the supervision of SSCA.
- Blue tags are used on its packets.
प्रमाणीकृत बीज:-
- इसका उत्पादन आधार बीज या पंजीकृत बीज के प्रवर्धन से होता है।
- भारत में इसका उत्पादन आधार बीज के प्रवर्धन से किया जाता है।
- यह सामान्य रूप से बाजार में किसानों के लिए उपलब्ध होता है।
- यह सबसे सस्ता होता है क्योंकि इसकी आनुवंशिक शुद्धता सबसे कम होती है। परन्तु फिर भी यह संतोषजनक स्तर की होती है। इसमें 5% तक के संदूषण की अनुमति होती है।
- इसका प्रमाणीकरण SSCA (State Seed Certification Agency) के द्वारा किया जाता है। SSCA की देखरेख में इनका उत्पादन किया जाता है।
- इनके पैकेट पर Blue tag का उपयोग किया जाता है।

10. Nucleus seed:-
- These are the purest seeds produced directly by plant breeders.
- They are very pure and expensive, hence produced in very small quantities.
- Their genetic purity is 100%.
- These seeds do not require certification.
- No tag is used for these seeds.
नाभिक बीज:-
- ये सर्वाधिक शुद्ध बीज होते हैं जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से पादप  प्रजनक के द्वारा उत्पादित किया जाता है।
- ये बहुत अधिक शुद्ध व महंगे होते हैं, इसलिए बहुत कम मात्रा में उत्पादित होते हैं।
- इनकी आनुवंशिक शुद्धता 100% होती है।
- इन बीजों को प्रमाणीकरण की आवश्यकता नहीं होती है।
- इनके लिए किसी भी tag का उपयोग नहीं किया जाता है।

11. Labelling of seed bags:- According to national legislation, a label is a legal document. For certified seed lots, the label is printed & delivered by the certifying authority. Some countries permit the category: “truthfully labelled seed”. Labels should normally include the following minimum information:-
 i. Germination 
ii. Date of germination test 
iii. Purity 
iv. Weed content (optional) 
v. Name and address of seed company (not always obligatory; processor/company code may be sufficient) 
vi. Seed category 
vii. Species and variety 
viii. Seed lot number (for traceability) 
ix. Seed treatment, product applied and dose
बीज थैलों की लेबलिंग:- राष्ट्रीय कानून के अनुसार, एक लेबल एक कानूनी दस्तावेज होता है। प्रमाणिकृत बीज ढेर के लिए, लेबल को प्रमाणित करने वाले प्राधिकारी द्वारा मुद्रित और वितरित किया जाता है। कुछ देश: "सत्य अंकित बीज" श्रेणी को अनुमति देते हैं। लेबल में सामान्य रूप से निम्नलिखित न्यूनतम जानकारी होनी चाहिए:-
 i. अंकुरण
ii. अंकुरण परीक्षण की तिथि
iii. शुद्धता
iv. खरपतवार सामग्री (वैकल्पिक)
v. बीज कम्पनी का नाम और पता (हमेशा अनिवार्य नहीं; प्रोसेसर / कंपनी कोड पर्याप्त हो सकता है)
vi. बीज श्रेणी
vii. किस्म और जाति
viii. बीज ढेर संख्या (पता लगाने के लिए)
ix. बीज उपचार, लागू उत्पाद और खुराक

12. Isolation distance:- It is the minimum separation required between two or more varieties of the same species for the purpose of keeping seed purity. 
- Isolation distance is used to prevent contamination by the following three factors:-
i. Contamination by undesired pollination
ii. Mixing with other seeds at the time of harvesting and threshing
iii. Spread of diseases
- The isolation distance is determined by the type of pollination. Isolation distance varies in foundation seed production and certified seed production for each seed crop.
पृथक्करण दूरी:- यह बीज की शुद्धता बनाए रखने के उद्देश्य से एक ही जाति की दो या दो से अधिक किस्मों के बीच आवश्यक न्यूनतम पृथक्करण है।
- निम्न तीन कारकों द्वारा संदूषण को रोकने के लिए पृथक्करण दूरी का उपयोग किया जाता है:-
i. अवांछित परपरागण द्वारा संदूषण
ii. कटाई व गहाई के समय अन्य बीजों से मिश्रण
iii. रोगों का फैलाव
- पृथककरण दूरी परागण के प्रकार द्वारा निर्धारित होती है। प्रत्येक बीज फसल के लिए आधार बीज उत्पादन व प्रमाणीकृत बीज उत्पादन में पृथक्करण दूरी अलग – अलग होती है।

13. Developmental variations:- When seed crops are grown under difficult environmental conditions, than after several generations, their growth patterns get changed. Varieties should always be grown in adapted environment to prevent this change.
विकासात्मक विभिन्नताएँ:- जब बीज फसलों को कठिन वातावरणीय परिस्थितियों में उगाया जाता है तो कई पीढ़ियों के पश्चात उनके वृद्धि स्वभाव में विविधताएँ आ जाती हैं। इसे रोकने के लिए किस्मों को हमेशा अनुकूलित वातावरण में उगाना चाहिए।