Stomatal Physiology: Structure, Frequency, Distribution and Stomatal Opening and Closing Mechanism

UPDATED ON:- 01-01-2024
रंध्रीय कार्यिकीसंरचना, आवृति, वितरण और रंध्र के खुलने  बंद होने की क्रियाविधि (Stomatal Physiology: Structure, Frequency, Distribution and Stomatal Opening and Closing Mechanism):-
रंध्र की संरचना (Structure of Stomata):-
·   रंध्रों को Pfeffer द्वारा खोजा गया था और 'stomata' नाम Malphigii द्वारा दिया गया था।
(Stomata was discovered by Pfeffer & name ‘stomata’ was given by Malphigii.)
·   रंध्र पर्ण के 1-2% क्षेत्र पर पाये जाते हैं।
(Stomata cover 1-2% of leaf area.)
·   रंध्र दीर्घवृताकार आकृति के सूक्ष्म छिद्र होते हैं, जिनमें दो विशेष अधिचर्म कोशिकाएं होती हैं जिन्हें द्वार कोशिकाएं कहा जाता है।
(Stomata are minute pores of elliptical shape, consists of two specialized epidermal cell called guard cells.)
·  द्वार कोशिकाएं द्विबीजपत्री पौधों में वृक्काकार और एकबीजपत्री पौधों में डंबलनुमा होती हैं।
(The guard cells are kidney shape in dicots and dumbell shape in monocots.)
·   द्वार कोशिका की छिद्र के चारों ओर की भित्ति मोटी व लोच रहित होती है जबकि शेष भित्तियाँ पतली, लोचदार और अर्ध-पारगम्य होती हैं।
(The wall of the guard cell surrounding the pore is thicken and inelastic while rest of the walls are thin, elastic and semi-permeable.)
·   द्वार कोशिका का हरितलवक बहुत कम प्रकाश संश्लेषण करता है, क्योंकि रूबिस्को एंजाइम अनुपस्थित होता है।
(The chloroplast of guard cell are capable of very poor photosynthesis, because the absence of RUBISCO enzyme.)
·   द्वार कोशिकाएं रूपान्तरित अधिचर्म कोशिकाओं से घिरी होती हैं, जिन्हें सहायक कोशिकायें कहते हैं, जो द्वार कोशिकाओं की गति में सहायता करती हैं।
(Guard cells are surrounded by modified epidermal cells, known as subsidiary cells or accessory cells, which supports in the movement of guard cells.)
·   अनेक अनावृतबीजी व मरुदभिद पौधों (रेगिस्तान में उगने वाले पौधे) में, रंध्र पत्तियों में गहराई से स्थित होते हैं, ताकि वे प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश के संपर्क में न हों। इस प्रकार के गहराई से धँसे हुए रंध्रों को सनकन रंध्र कहा जाता है। यह इन पौधों में अत्यधिक वाष्पोत्सर्जन को रोकने के लिए एक अनुकूलन है।)
(In many gymnosperms and xerophytic plants {plants growing in desert), the stomata are present embedded deeply in the leaves, so that they are not exposed to sunlight directly. Such deeply embedded stomata are called sunken stomata. This is an adaptation to check excessive transpiration in these plants.)
·   Metacalf व Chalk ने संरचना के आधार पर रंध्रों के चार प्रकारों को पहचाना है :-)
(Metacalf and Chalk recognized four types of stomata on the basis of their structure:-)
a. Anomocytic type:-
इन रंध्रों मेंसहायक कोशिकाएं अनुपस्थित होती हैं। द्वार कोशिकाएं सामान्य अधिचर्म कोशिकाओं से घिरी होती हैं। उदाहरण:- कुल - रेननकुलेसीकुकुरबिटेसीपैपेवरेसी  मालवेसी।
(In these stomata, accessory cells are absent. The guard cells are surrounded by ordinary epidermal cells. Eg.- families Ranunculaceae, Cucurbitaceae, Papaveraceae and Malvaceae.)
b. Anisocytic type:-
इन रंध्रों में द्वार कोशिकाएँ तीन सहायक कोशिकाओं से घिरी होती हैं। इनमें से दो आकार में बड़ी होती हैंजबकि एक छोटी होती है। उदाहरण:- कुल - ब्रेसीकेसी
(In these stomata the guard cells are surrounded by three accessory cells. Of these two are larger whereas one is smaller in size. Eg.- family Brassicaceae.)
c. Diacytic type:-
इन रंध्रों में द्वार कोशिकाएं दो सहायक कोशिकाओं से घिरी होती हैं। उनकी साझी भित्तियाँ द्वार कोशिकाओं की   भित्तियों के समकोण पर होती हैं। उदाहरण:- कुल - कैरिओफाइलेसी, एकैन्थेसी 
(In these stomata the guard cells are surrounded by two accessory cells. Their common walls are at right angle to the walls of guard cells. Eg.- families Caryophyllaceae, Acanthaceae.)
d. Paracytic type:-
इन रंध्रों में भी द्वार कोशिकाएँ दो सहायक कोशिकाओं से घिरी होती हैंपरन्तु उनकी साझी भित्तियाँ द्वार कोशिकाओं के समानांतर होती हैं। उदाहरण:- कुल - रूबीएसीफैबेसी आदि।
(In these stomata the guard cells are also surrounded by two accessory cells, but their common walls are parallel to guard cells. Eg.- families Rubiaceae, Fabaceae etc.)
रंध्रीय आवृति (Stomatal Frequency):-
·   पत्ती के प्रति इकाई क्षेत्रफल में रंध्रों की संख्या को रंध्रीय आवृति कहा जाता है।
(The number of stomata per unit area of leaf is called Stomatal Frequency.)
·   समोदभिद पौधों की तुलना में मरुदभिद पौधों में रंध्रों की अधिक संख्या होती है।
(Xerophytes possess larger number of stomata than mesophytes.)
·   विभिन्न पादप जातियों में 1000 - 60,000 रंध्र / वर्ग सेमी की संख्या होती है।
(Number of stomata/sq cm. is 1000 — 60,000 in different plant species.)
·   वृक्षों व झाड़ियों की रंध्रीय आवृत्ति शाकों की तुलना में अधिक होती है।
(Stomata frequency of trees and shrubs is higher than herbs.)
·   पूर्ण रूप से खुली अवस्था में रंध्र पर्ण के कुल क्षेत्रफल का लगभग 1 से 2% घेरते हैं।
(Stomata nearly occupy 1 to 2 % of total leaf area when fully open.)
·   समद्विपार्श्विक पत्तियों (एकबीजपत्री पौधों में) में ऊपरी व निचली दोनों सतहों पर लगभग समान संख्या में रंध्र पाए जाते हैं।
(In isobilateral leaves (in monocots) approximately the same number of stomata are found on upper surface (adaxial) and lower (abaxial) surface.)
·   लेकिन पृष्ठाधरी पत्तियों (द्विबीजपत्री पौधों में) ऊपरी सतह पर रंध्रों की संख्या कम है और निचली सतह पर रंध्रों की संख्या अधिक होती है।
(But in dorsiventral leaves (in dicots) the number of stomata on the upper surface is much less in comparison to those found on the lower surface.)
रंध्रीय वितरण (Stomatal Distribution):-
पत्तियों में रंध्रों के वितरण और व्यवस्था के आधार पर पौधों में रंध्र वितरण की 4 श्रेणियों को पहचाना गया है।
(Depending upon the distribution and arrangement of stomata in the leaves 4 categories of stomatal distribution have been recognized in plants.)
1. Hypostomatic type:-
रंध्र केवल पत्तियों की निचली सतह पर पाये जाते हैं। उदाहरण:- द्विबीजपत्री पौधे जैसे - सेबआड़ूशहतूतअखरोटआलूगोभीसेमटमाटरमटरआदि।
(Stomata are found distributed only on the lower surface of leaves. Eg.- Dicots as apple, peach, mulberry, walnut, potato, cabbage, bean, tomato, pea, etc.)
2. Amphistomatic type:-
रंध्र दोनों ऊपरी व निचली सतहों पर समान रूप से वितरित होते हैं। उदाहरण:- एकबीजपत्री पौधे जैसे - मक्काजईघासआदि
(Stomata are found distributed equally upon the two surfaces. Eg.- Monocots as maize, oats, grasses, etc.)

3. Epistomatic type:-

रंध्र केवल पत्ती की ऊपरी सतह पर वितरित होते हैं, उदाहरण:- उतारते जलोदभिद जैसे - जल लिली, निम्फीया   आदि।

(Stomata are found distributed only on the upper surface of leaf. Eg.- Floating hydrophytes as water lily, Nymphaea etc.)

4. Astomatic type:-

रंध्र पूर्ण रूप से अनुपस्थित होते हैं या उपस्थित होने पर अवशेष होते हैं। उदाहरण:- जलमग्न जलोदभिद जैसे -   पोटेमोजीटन।

(Stomata are altogether absent or if present they are vestigial. Eg.- Submerged hydrophytes as Potamogeton.)

रंध्रीय गति (Stomatal Movement):-

·  रंध्रों की गति के आधार पर रंध्र 3 प्रकार के होते हैं:- 

(On the basis of stomatal movement there are 3 types of stomata:-)

i. Photoactive stomata

ii. Scotoactive stomata

iii. Hydroactive stomata

i. Photoactive stomata:- जब रंध्रीय गति सूर्य के प्रकाश द्वारा नियंत्रित की जाती है तो ऐसे रंध्रों को Photoactive stomata कहते हैं। दिन में रंध्र खुल जाते हैं और रात में रंध्र बंद हो जाते हैं। उदाहरण:- अधिकांश पौधे

(When stomatal movement is controlled by sunlight, such stomata are called photoactive stomata. The stomata open during the day and close at night. Example:- Most plants)

ii. Scotoactive stomata:- जब रंध्रीय गति अंधकार के द्वारा नियंत्रित की जाती है तो ऐसे रंध्रों को Scotoactive stomata कहते हैं। रात में रंध्र खुल जाते हैं और दिन में रंध्र बंद हो जाते हैं। उदाहरण:- CAM  पौधे जैसे - Bryophyllum, Crassula, Sedum, Opuntia

(When stomatal movement is controlled by darkness, such stomata are called Scotoactive stomata. The stomata open at night and the close during the day. Example:- CAM plants like - Bryophyllum, Crassula, Sedum, Opuntia)

iii. Hydroactive stomata:- जब अधिचर्म कोशिकाएं बहुत अधिक स्फीत होती हैं तो दाब के कारण रंध्र बंद हो जाते हैं। दिन के मध्य में जब अधिचर्म कोशिकाओं से जल निकलता है तो ये रंध्र खुल जाते हैं। इस प्रकार रंध्रों की गति जल की गति द्वारा नियंत्रित होती है।

(When the epidermal cells are highly turgid, the stomata are closed due to pressure. In the middle of the day, when water is released from the epidermal cells, these stomata open. Thus the movement of stomata is controlled by the movement of water.)

·   पोटेशियम K+ की रंध्रों के खुलने में भूमिका अब सार्वभौमिक रूप से स्वीकार की जाती है।

(Role of potassium K+ in stomatal opening is now universally accepted.)

·  फुजिनो (1967) द्वारा पहली बार देखा गया था कि रंध्रों का खुलना K+ आयनों के द्वार कोशिकाओं में प्रवेश के कारण होता है।

(This was observed for the first time by Fujino (1967) that opening of stomata occurs due to the influx of Kions into the guard cells.)

·   Stomatal Opening:-

Ø  K+ आयनों का स्रोत सहायक कोशिकाएं व अधिचर्म कोशिकाएं होती हैं।

(The sources of K+ ions are nearby subsidiary and epidermal cells.)

Ø  पोटेशियम K+ को ग्रहण करने से जल विभव की प्रवणता नियंत्रित होती है।

(The uptake of potassium K+ controls the gradient in the water potential.)

Ø  K + आयनों की सांद्रता में वृद्धि द्वार कोशिकाओं की परासरण सांद्रता को बढ़ाती है।

(The increase in K+ ions concentration increases the osmotic concentration of guard cells.)

Ø  जिससे द्वार कोशिकाओं में जल का परसरणीय प्रवेश होता है जो स्फीति दाब को बढ़ा देता है।

(This in turn triggers osmotic flow of water into the guard cells raising the turgor pressure.)

Ø  ATP द्वार कोशिकाओं में K + आयनों के प्रवेश में सहायता करता है।

(ATP helps in entry of K+ ions into the guard cells.)

Ø  लेविट (1974) ने देखा कि प्रोटॉन (H+) सहायक कोशिका के द्वारा ATP की सहायता से ग्रहण किए जाते हैं। इससे द्वार कोशिकाओं में pH के मान में वृद्धि होती है।

(Levitt (1974) observed that proton (H+) uptake by subsidiary cells takes place with the help of ATP. This leads to increase in value of pH in guard cells.)

Ø  pH में वृद्धि स्टार्च को कार्बनिक अम्ल में परिवर्तित करती है, जैसे मैलिक अम्ल।

(Rise in pH converts starch into organic acid, such as malic acid.)

Ø  मैलिक अम्ल आगे H+ और मैलेट आयन में विघटित हो जाता है।

(Malic acid further dissociates to form Hand malate anion.)

Ø  पोटेशियम K+ आयनों का ग्रहण निम्नलिखित में से एक द्वारा संतुलित किया जाता है:

(The uptake of potassium K+ ions is balanced by one of the following:)

(i) Cl–  का ग्रहण

(Uptake of Cl)

(ii) कार्बनिक अम्लों से H+ आयनों का परिवहन, जैसे मैलिक अम्ल

(Transport of H+ ions from organic acids, such as malic acid)

(iii) जब वे H + आयन खोते हैं तो कार्बनिक अम्लों के ऋणात्मक आवेशों से।

(By negative charges of organic acids when they lose H+ ions.)

Ø  द्वार कोशिकाओं में बड़ी मात्रा में K + आयनों का संचय ऋण आवेशित आयनों, अर्थात् क्लोराइड और मैलेट के ग्रहण से विधुतीय रूप से संतुलित होता है। खुले रंध्रों की द्वार कोशिकाओं में उच्च मात्रा में मैलेट, स्टार्च के जल अपघटन द्वारा जमा होती है।

(The accumulation of large amounts of K+ ions in guard cells is electrically balanced by the uptake of negatively charged ions, i.e., chloride and malate. The high amount of malate in guard cells of open stomata accumulates by hydrolysis of starch.)

·  Stomatal Closing:-

Ø  K+ और CI आयनों के द्वार कोशिकाओं से अधिचर्म व सहायक कोशिकाओं में निष्क्रिय या अत्यधिक उत्प्रेरित उत्सर्जन द्वारा रंध्रों के बंद किया जाता है।

(The stomatal closure is considered to be brought about by a passive or highly catalyzed excretion of K+ and CI from the guard cells to the epidermal tissue in general and subsidiary cells in particular.)

Ø  यह माना जाता है कि सहायक कोशिकाओं में K + का सक्रिय अवशोषण तंत्र होता है।

(It is thought that subsidiary cells have an active reabsorption mechanism of K+.)