Pea Crop Improvement
(Each flower has 5 green sepals which are fused.)
· प्रत्येक पुष्प में सफेद या बैंगनी रंग के 5 दल होते हैं जो ध्वजीय दलविन्यास प्रदर्शित करते हैं। दल 3 प्रकार के होते हैं –
(Each flower has 5 petals of white or purple colour representing the vexillary aestivation. There are 3 types of petals -)
i. ध्वज (Vexillum, Standard):- ऊपरी 1 बड़ा दल
(Upper 1 large petal)
ii. पक्ष (Wing):- 2 पार्श्वीय मध्यम दल
(Lateral 2 medium petals)
iii. नोतल (Keel, Carina):- निचले 2 छोटे दल जिनके अंदर पुंकेसर व स्त्रीकेसर बन्द रहते हैं। इस अवस्था में स्वपरागण होता है जिसे निमिलित परागण कहते हैं।
(The lower 2 small petals inside which stamens and carpel remain enclosed. In this condition, self-pollination occurs, which is called cleistogamy.)
· प्रत्येक पुष्प में 10 पुंकेसर होते हैं जो 9 + 1 के दो समूहों में पाये जाते है। अर्थात पुंकेसर द्विसंघी होते हैं।
(Each flower has 10 stamens which are found in two groups of 9 + 1. It means stamens are diadelphous.)
· प्रत्येक पुष्प में 1 अण्डप होता है जिसमें 8 से 13 बीजाण्ड सीमान्त बीजाण्डन्यास में पाये जाते है।
(Each flower has 1 carpel, in which 8 to 13 ovules are found in marginal placentation.)
· पुष्पचित्र (Floral Diagram):-
· परागण (Pollination):-
Ø प्राकृतिक रूप से मटर एक स्वपरागित फसल है।
(Naturally, pea is a self-pollinated crop.)
Ø मटर के पुष्पों में निमिलित परागण पाया जाता है अर्थात पुंकेसर व स्त्रीकेसर दोनों पुष्प में बन्द होते हैं। इसलिए 100% स्वपरागण होता है।
(Cleistogamy is found in pea flowers i.e. both stamens and carpel are enclosed in flowers. Therefore there is 100% self-pollination.)
· फल (Fruit):- पॉड या लैग्यूम (Pod or Legume) मटर के लेग्यूम में 8 या 13 बीज होते हैं।
(The pea legume has 8 or 13 seeds.)
5. प्रजनन उद्देश्य (Breeding Objective):-
a. उच्च उपज (High Yield):-
Ø मटर में उपज निम्न कारकों पर निर्भर करती है –
(The yield in pea depends on the following factors-)
i. प्रति पौधा फलियों की संख्या
(Number of legumes per plant)
ii. प्रति फली बीजों की संख्या
(Number of seeds per pod)
iii. 100 बीजों का भार
(Weight of 100 seeds)
Ø उध्यान मटर (Garden pea):-
i. उच्च हरी पॉड उपज
(High green pod yield)
ii. लम्बी, आकर्षित हरी पॉड
(Long, attractive green pods)
iii. मीठापन (Sweetness)
iv. उच्च शैलिंग प्रतिशत
(High shelling percentage)
v. विशिष्ट परिपक्वता (शीघ्र, मध्यम, देरी से)
[Specific Maturity (Early, Medium, Late)]
Ø खेत मटर (Field pea):-
i. उच्च बीज उपज (High seed yield)
ii. बड़े, आकर्षित बीज (Large, attractive seeds)
iii. शीघ्र परिपक्वता (Early maturation)
b. विशरण रोधिता (Shattering Resistance)
c. परिपक्वता (Maturity):-
Ø देश के गर्म क्षेत्रों के लिए शीघ्र (100 – 120 दिनों में) पकने वाली किस्मों का विकास करना एक उद्देश्य है।
[One objective is to develop early (100 - 120 days) maturing varieties for warm regions of the country.]
Ø देश के ठंडे क्षेत्रों के लिए देरी से (150 – 160 दिनों में) पकने वाली किस्मों का विकास करना एक उद्देश्य है।
[One objective is to develop delayed (150 - 160 days) maturing varieties for the cold regions of the country.]
d. गुणवत्ता (Quality):-
Ø दानों का आमाप, रंग, सतह के अभिलक्षण, पकाव गुणवत्ता आदि लक्षण मटर में गुणवत्ता के महत्वपूर्ण घटक हैं।
(Grain size, colour, surface characteristics, cooking quality, etc. are important components of quality in pea.)
Ø गोल, सफेद व बड़े दाने अधिक पसंद किए जाते हैं।
(Round, white and large grains are preferred.)
Ø दानों के प्रोटीन अंश में सुधार होना चाहिए। प्रोटीन में मेथिओनिन व सिस्टीन अंश में सुधार होना चाहिए।
(The protein content of the grains should be improved. Methionine and cysteine content in proteins should be improved.)
Ø दानों के टैनिन अंश में कमी की जानी चाहिए। यदि हो सके तो टैनिन को समाप्त किया जाना चाहिए।
(The tannin content of the grains should be reduced. Tannin should be eliminated if possible.)
e. अनुक्रियाशीलता (Responsiveness):- मटर की किस्में उर्वरकों व सिंचाई के प्रति अनुक्रियाशील होनी चाहिए।
(Pea varieties should be responsive to fertilizers and irrigation.)
f. उच्च संलवन सूचकांक (High Harvest Index):-
Ø फसल की आर्थिक उपज व जैविक उपज के प्रतिशत अनुपात को संलवन सूचकांक कहते हैं।
(The percent ratio of the economic yield and biological yield of the crop is called the harvest index.)
Ø आर्थिक उपज (Economic yield):- फसल के उपयोगी भागों अर्थात दानों का शुष्क भार आर्थिक उपज कहलाता है।
(Dry weight of the useful parts of the crop (it means grains) is called economic yield.)
Ø जैविक उपज (Biological yield):- फसल के जमीन से ऊपर के सभी भागों का शुष्क भार जैविक उपज कहलाता है।
(The dry weight of all the parts above the ground of the crop is called biological yield.)
g. पाला रोधिता (Frost Resistance)
h. सूखा सहिष्णुता (Drought Tolerance)
i. रोग रोधिता (Disease Resistance):-
Ø Downy mildew
Ø Powdery mildew
Ø Rust
Ø Wilt
Ø Pea mosaic
j. कीट रोधिता (Insect Resistance):-
Ø Leaf miner
Ø Semi-looper
Ø Aphids
Ø Pod-borer
Ø Pea stem fly
6. प्रजनन विधियाँ (Breeding methods):-
a. पुर:स्थापन (Introduction):-
Ø Early Badger
Ø Arkel
Ø Bonneville
b. शुद्ध वंशक्रम वरण (Pure line Selection):-
Ø T163:- इसे उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले से संग्रहित एक देशी किस्म में शुद्ध वंशक्रम वरण द्वारा विकसित किया गया है। यह सफेद, बड़े दानों वाली तथा उच्च उपज देने वाली किस्म है।
(It has been developed by pure line selection in a native variety collected from Bulandshahar district of Uttar Pradesh. It is white, large grain and high yielding variety.)
Ø BR2 (Bihar)
Ø No.23, 43 (Maharashtra)
Ø B22 (Weat Bengal)
Ø Harbhajan, RP3 (Rajasthan)
Ø Kinnauri (Himachal Pradesh)
c. उत्परिवर्तन प्रजनन (Mutation Breeding):-
Ø Hans:- यह स्वीडन से पुर:स्थापित एक जननद्रव्य लाइन का उत्परिवर्ती है। इसे 1979 में में विमोचित किया गया था। इसमें निम्न लक्षण होते हैं –
(It is a mutant of a germplasm line introduced from Sweden. It was released in 1979. It has the following characteristics -)
i. शीघ्र पकने वाली (Early maturing)
ii. उत्कृष्ट पादप प्रारूप (Superior plant type)
d. अंतरा – किस्मीय संकरण (Inter – varietal Hybridization):-
Ø Rachana:- इसे T163 व T10 के मध्य संकरण से प्राप्त किया गया है।
(It is derived from hybridization between T163 and T10.)
Ø Pant Pea 5:- इसे T10 व T163 के मध्य व्युत्क्रम संकरण से प्राप्त किया गया है।
(It is derived from the reciprocal cross between T10 and T163.)
Ø HUP5
Ø DMR11
Ø VL1
e. दूरस्थ संकरण (Distant Hybridization):- कृष्य जाति Pisum sativum का क्रॉस जंगली जातियों Pisum arvense, Pisum elatius, Pisum humile आदि से कराया गया है। परन्तु इन संकरणों से किसी किस्म का विकास नहीं किया जा सका है।
(The cross of the cultivated species Pisum sativum is made with the wild species Pisum arvense, Pisum elatius, Pisum humile etc. But no variety has been developed from these hybridizations.)