गन्ना फसल उन्नयन (Sugarcane Crop Improvement):-
1. परिचय (Introduction):-
· सामान्य नाम:- गन्ना
(Common Name:- Sugarcane)
· वानस्पतिक नाम:- Saccharum officinarum
(Botanical Name:- Saccharum officinarum)
· कुल:- पोएसी या ग्रेमिनी
(Family:- Poaceae or Graminae)
· गन्ना एक C4 – पादप है।
(Sugarcane is a C4 plant.)
· गन्ना उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है।
(India ranks first in sugarcane production in the world.)
2. जातियाँ व गुणसूत्र संख्या (Species and Chromosome Numbers):-
· Barber ने गन्ने को 5 समूहों में विभाजित किया है –
(Barber has divided sugarcane into 5 groups -)
i. Saretha:- सबसे छोटा व सबसे कठोर तना होता है। जंगली घास जैसा लगता है। यह पंजाब में तथा आसाम व बिहार के मध्य होता है।
(The stem is the shortest and most rigid. It looks like wild grass. It occurs in Punjab and between Assam and Bihar.)
ii. Mungo:- यह बिहार में होता है।
(It occurs in Bihar.)
iii. Nargori:- यह जलभराव आवास में होता है। यह बिहार में देखने को मिलता है।
(It occurs in waterlogged habitats. It occurs in Bihar.)
iv. Sunnabile:- यह आसाम में होता है।
(It occurs in Assam)
v. Pansahi:- यह बिहार व बंगाल के मध्य होता है।
(It occurs between Bihar and Bengal)
· गन्ने में 3 कृष्य व 2 जंगली जातियाँ हैं। जो नीचे सारणी में दी गयी हैं –
(There are 3 cultivated and 2 wild species in sugarcane. Which are given in the table below -)
· पुष्पन के समय शुष्क गर्म मौसम से अर्धसूत्री विभाजन अनियमित हो जाता है और उर्वरता कम हो जाती है।
3. उत्पत्ति केन्द्र (Center of Origin):-
नोट (Note):- ऐसा माना जाता है कि गन्ने की कृष्य जाति Saccharum officinarum की उत्पत्ति जंगली जाति Saccharum robustum से हुई है।
(It is believed that the cultivated species Saccharum officinarum of sugarcane is derived from the wild species Saccharum robustum.)
4. भारतीय गन्ने का नोबिलीकरण (Nobilization of Indian Sugarccane):-
गन्ना प्रजनन केंद्र, कोयम्बटूर पर भारतीय गन्ने Saccharum barberi का संकरण ऊष्ण कटिबंधीय गन्ने Saccharum officinarum से कराकर भारतीय गन्ने में सुधार किया गया। भारतीय गन्ना बहुत अधिक कठोर, बहुत कम उपज व बहुत कम रस वाला होता है जबकि उष्ण कटिबंधीय गन्ना बहुत अधिक कोमल, बहुत अधिक उपज, बहुत अधिक रस व बहुत कम रेशे वाला होता है जिसका तना मोटा व छिलका मुलायम होता है। परन्तु उष्ण कटिबंधीय गन्ना उत्तर भारतीय जलवायु में कम उपज देता है। इसलिए उष्ण कटिबंधीय गन्ने के उत्तम लक्षणों भारतीय गन्ने में स्थानांतरित करने के लिए इन दोनों के मध्य संकरण कराया गया। इसी प्रक्रिया को भारतीय गन्ने का नोबिलाइजेशन कहते हैं।
(Indian sugarcane was improved by hybridization of the Indian sugarcane Saccharum barberi with the tropical sugarcane Saccharum officinarum at the Sugarcane Breeding Institute, Coimbatore . Indian sugarcane is very hard, very low yielding and very low in juice whereas tropical sugar cane is very soft, very high yielding, very high juice and very low fiber, which also has thick stem and soft peel. But tropical sugarcane gives less yield in North Indian climate. Hence, hybridization was carried out between the two to transfer the best characteristics of tropical sugarcane to Indian sugarcane. This process is called nobilization of the Indian sugarcane.)
5. पुष्पीय बायोलॉजी (Floral Biology):-
· गन्ना एक वार्षिक घास है। गन्ने का तना 2.5 से 6 मीटर तक लंबा होता है जो पर्व व पर्व सन्धियों में विभेदित होता है।
(Sugarcane is an annual grass. The sugarcane stem is 2.5 to 6 meters long which is differentiated into nodes and inter nodes.)
· गन्ने का प्रवर्धन तनों की कतरनों (Cuttings) से किया जाता है। इन कतरनों को सेट (Sett) या बीजगन्ना (Seed canes) कहते हैं।
(Sugarcane propagation is done with stem cuttings. These cuttings are called Sett or Seed canes.)
· गन्ने में 10 – 12 महीने की आयु में पुष्पन होता है।
(In sugarcane flowering occurs at the age of 10 - 12 months.)
· गन्ने का पुष्पक्रम एक खुला पैनिकल होता है जिसे 'ऐरो' या 'टैसल' कहते हैं। प्रत्येक स्पाइकिका के नीचे लम्बे रोमों का वलय होने के कारण यह रेशमी दिखावट देता है।
(The sugarcane inflorescence is an open panicle called as 'arrow' or 'tassel'. It gives a silky appearance due to the presence of ring of long hairs at the bottom of each splikelet.)
· मुख्य अक्ष आगे 3 क्रम की शाखाओं में विभेदित होता है:-
(The main axis is further differentiated into 3 order branches:-)
i. प्रथम क्रम की शाखाएँ (First order branches):- ये मुख्य अक्ष पर उपस्थित होती हैं।
(They are present on the main axis.)
ii. द्वितीय क्रम की शाखाएँ (Second order branches):- ये प्रथम क्रम की शाखाओं पर उपस्थित होती हैं।
(They are present on first-order branches.)
iii. तृतीय क्रम की शाखाएँ (Third order branches):- ये द्वितीय क्रम की शाखाओं पर उपस्थित होती हैं।
(They are present on second-order branches.)
· स्पाइकिकायें क्रमिक शाखाओं की पर्वसंधियों पर विकसित होती हैं।
(Spikelets develop on the nodes of successive branches.)
· प्रत्येक पर्वसन्धि पर एक जोड़ा अर्थात 2 स्पाइकिकायें होती हैं। इनमें से एक स्पाइकिका अवृन्तीय व दूसरी स्पाइकिका वृन्तीय होती है।
(There is 1 pair, it means 2 spikelets on each node. Of these, one spikelet is sessile and the other spikelet is stalked.)
· प्रत्येक स्पाइकिका के आधार पर रेशमी रोमों का एक वलय पाया जाता है। ये रेशमी रोम स्पाइकिका से लम्बे होते हैं।
(A ring of silky hairs is found at the base of each spikelet. These silky hairs are longer than the spikelet.)
· प्रत्येक स्पाइकिका में निम्न भाग होते हैं:-
(Each spikelet has the following parts: -)
i. बाहरी ग्लूम (Outer Glume):- यह बंध्य होता है। इसे पहला ग्लूम माना जाता है इसलिए इसे G1 से दर्शाते हैं।
(It is sterile. It is considered to be the first glume so it is denoted by G1.)
ii. 2 पुष्प (2 Flowers):- इनमें से निचला पुष्प बंध्य होता है व ऊपरी पुष्प द्विलिंगी होता है।
(Of these, the lower flower is sterile and the upper flower is bisexual.)
iii. आंतरिक ग्लूम (Inner Glume):- यह बंध्य होता है। इसे दूसरा ग्लूम माना जाता है इसलिए इसे G2 से दर्शाते हैं।
(It is sterile. It is considered to be the second glume so it is denoted by G2.)
· निचले बंध्य पुष्प में केवल एक बंध्य लेम्मा होता है। इसे तीसरा ग्लूम माना जाता है इसलिए इसे G3 से दर्शाते हैं।
(The lower sterile flower has only one sterile lemma. It is considered to be the third glume so it is denoted by G3.)
· ऊपरी द्विलिंगी पुष्प में निम्न भाग होते हैं:-
(The upper bisexual flower has the following parts:-)
· i. उर्वर लेमा (Fertile Lemma):- इसे चौथा ग्लूम माना जाता है इसलिए इसे G4 से दर्शाते हैं। Saccharum officinarum में यह अनुपस्थित होता है जबकि Saccharum spontaneum में यह उपस्थित होता है।
(It is considered to be the fourth glume, hence it is denoted by G4. It is absent in Saccharum officinarum whereas it is present in Saccharum spontaneum.)
ii. 2 लोडिक्यूल्स (2 Lodicules)
iii. 3 पुंकेसर (3 Stamens)
iv. 1 अण्डप (1 Carpel)
v. उर्वर पेलिया (Fertile Palea)
· पुष्पचित्र (Floral Diagram):-
· परागण (Pollination):-
Ø गन्ने में मुख्य रूप से परपरागण ही होता है। गन्ने में परागण वायु द्वारा होता है।
(Sugarcane mainly show cross pollination. Pollination is done by air.)
Ø निम्न लक्षण परपरागण को बढ़ावा देते हैं:-
(The following characters promote cross pollination:-)
i. स्व नर व मादा बंध्यता
(Male and female sterility)
ii. स्त्रीपूर्वता (Protogyny)
iii. पुष्पन के समय पुंकेसरों का वर्तिकाग्र से दूर लटकना
(Stamens hanging away from the stigma at the time of flowering)
Ø पुष्प सुबह 5 से 8 बजे के मध्य खुलते हैं। पुष्प पैनिकल के ऊपर से खुलना शुरू करते हैं और नीचे की ओर बढ़ते हैं।
(The flowers open between 5 am to 8 am. The flowers begin to open from the top of the panicle and progresses downward.)
Ø स्पाइकिकाओं को पूर्ण रूप से खुलने में 7 - 14 दिन का समय लगता है।
(Spikelets take 7 - 14 days for complete opening.)
Ø वर्तिकाग्र पहले बाहर निकलती है और बाद में परागों का स्फुटन होता है।
(The stigma comes out first and then the dehiscence of anthers occurs.)
Ø फल (Fruit):- Caryopsis जो 1mm लम्बा होता है। निषेचन के 3 सप्ताह के पश्चात परिपक्व फल पौधे से गिरने लगते हैं। रेशमी रोम इनके वायु प्रकीर्णन में सहायता करते हैं।
(Caryopsis which is 1 mm long. Mature fruits start falling from the plant after 3 weeks of fertilization. Silky hairs help in their air dispersal.)
6. प्रजनन उद्देश्य (Breeding Objective):-
a. अधिक गन्ना उपज (High Cane Yield):- गन्ने में उपज निम्न कारकों पर निर्भर करती है-
(The yield in sugarcane depends on the following factors-)
Ø तने की लंबाई व मोटाई
(Stem length and thickness)
Ø प्रति पौधा पिराई योग्य (millable) ईखों (canes) की संख्या
(Number of millable canes per plant)
Ø प्रत्येक ईख का ताजा भार
(Fresh weight of each cane)
b. मध्यम से उच्च सुक्रोज मात्रा (Moderate to high sucrose content)
c. शीघ्र से पूर्ण ऋतु परिपक्वता (Early to full season maturity):-
Ø Early:- दिसंबर – जनवरी (December - January)
Ø Mid:- फरवरी – मार्च (February - March)
Ø Late:- अप्रैल – मई (April - May)
d. उच्च रतूनिंग क्षमता (High ratooning ability):-
रतूनिंग (Ratooning):- यह एक कृषि पद्धति है जिसमें एकबीजपत्री फसल की कटाई करने के लिए जमीन के ऊपर के हिस्से को काट दिया जाता है, परन्तु जड़ों और बढ़ती हुई प्ररोह शिखाग्रों को छोड़ दिया जाता है ताकि पौधे अगली ऋतु में पुन: विकसित हो सकें और नई फसल उत्पन्न कर सकें।
(It is the agricultural practice of harvesting a monocot crop by cutting most of the above-ground portion but leaving the roots and the growing shoot apices intact so as to allow the plants to recover and produce a fresh crop in the next season.)
e. पतन रोधिता (Lodging Resistance):- यह तने के उच्च रेशा अंश एंव छिलके (rind) की कठोरता से संबन्धित होता है।
(This is related to the high fiber content of the stem and the hardness of the rind.)
f. पिराई गुणवत्ता (Milling Quality):- यह निम्न कारकों पर निर्भर करती है –
(It depends on the following factors -)
Ø छिलके की कोमलता (Softness of rind)
Ø पोरी की लंबाई (Length of internode)
Ø तने का रेशा अंश (Fiber content of the stem)
Ø पिथ का परिमाण (Amount of pith)
Ø रस का गाढ़ापन (Juice thickness)
Ø सुक्रोज अंश (Sucrose content)
g. रोग रोधिता (Disease Resistance):-
Ø Red rot
Ø Root rot
Ø Rust
Ø Smut
Ø Wilt
Ø Mosaic
Ø Ratoon – stunting disease
Ø Grassy shoot disease
h. कीट रोधिता (Insect Resistance):-
Ø Top shoot borer
Ø Early Shoot borer
Ø Internode borer
Ø Cane borer
Ø Pyrilla
Ø Mealy bugs
Ø White flies
Ø Termites
Ø White grub
i. अजैविक प्रतिबल सहिष्णुता (Abiotic stress Tolerance):-
Ø सूखा (Drought)
Ø लवणता (Salinity)
Ø बाढ़ (Flooding)
Ø उच्च तापमान (High Temperature)
7. प्रजनन विधियाँ (Breeding methods):-
a. पुर:स्थापन (Introduction):-
Ø Saccharum officinarum क्लोनों का पुर:स्थापन न्यू गिनी क्षेत्र से भारत में किया गया है।
(Saccharum officinarum clones have been introduced from the New Guinea region to India.)
Ø SBI, कोयंबटूर में लगभग 700 Saccharum officinarum क्लोनों का अनुरक्षण किया जा रहा है।
(Around 700 Saccharum officinarum clones are being maintained at SBI, Coimbatore.)
Ø कुछ पुर:स्थापनों का उपयोग किस्मों के रूप में खेती के लिए भी किया गया है, परन्तु ऐसा सीमित पैमाने पर ही हुआ है।
(Some introductions have also been used for cultivation as varieties, but this has been done on a limited scale.)
Ø Saccharum officinarum क्लोनों का प्रजनन कार्यक्रमों में जनकों के रूप में व्यापक उपयोग हुआ है।
(Saccharum officinarum clones have been widely used as parents in breeding programs.)
Ø गन्ने की आज की सभी किस्में इसकी जातियों के जटिल संकर हैं।
(All the recent varieties of sugarcane are the complex hybrids of its species.)
b. संकरण (Hybridization):-
Ø गन्ने की बहुत सी किस्मों का विकास संकरण के द्वारा किया गया है।
(Many varieties of sugarcane have been developed through hybridization.)
Ø गन्ने में संकरण के कई तरीकों का उपयोग किया जाता है:-
(Several methods of hybridization are used in sugarcane:-)
i. प्रक्षेत्र संकरण (Field crosses)
ii. द्विजनकीय संकरण (Biparental crosses)
iii. क्षेत्र संकरण (Area crosses)
Ø SBI, कोयंबटूर में एक ‘राष्ट्रीय गन्ना संकरण उध्यान’ की स्थापना की गई है। इस उध्यान में बड़ी संख्या में वांछित संकर बनाए जाते हैं, और उनके Fluff या Fuzz को देश के उन अनुसंधान केन्द्रों एंव कृषि विश्व विध्यालयों को भेजा जाता है, जो गन्ना सुधार में लगे हुए हैं। ये केंद्र / विश्वविध्यालय, इन Fuzz से प्राप्त समष्टियों का मूल्यांकन एंव उनमें वरण करते हैं।
(A 'National Sugarcane Hybridization Garden' has been established at SBI, Coimbatore. A large number of desired hybrids are developed, and their Fluff or Fuzz are sent to the research centres and agricultural universities of the country, which are engaged in sugarcane improvement. These centres/universities do evaluation and selection in the populations derived from these Fuzz.)
नोट (Note):- गन्ने के कॉसित बीजों को ‘Fluff’ या ‘Fuzz’ कहते हैं।
(Crossed seeds of sugarcane are called 'Fluff' or 'Fuzz'.)
Ø आजकल प्रचलित कुछ किस्मों के नाम हैं:-
(The names of some recent varieties are: -)
i. Co 1148, 1158, 997, 6304, 419, 740
ii. CoJ 64
iii. Co Pant 84211
Ø विशिष्ट लक्षणों वाली किस्मों के कुछ उदाहरण नीचे दिये गए है:-
(Some examples of varieties with specific characteristics are given below: -)
c. दूरस्थ संकरण (Distant Hybridization):-
Ø दूरस्थ संकरणों का सबसे व्यापक एंव सबसे सफल उपयोग गन्ना प्रजनन में किया गया है।
(The most widespread and most successful use of distant hybridization has been in sugarcane breeding.)
Ø गन्ने की आजकल की सभी किस्में या तो दूरस्थ संकरणों से सीधे प्राप्त हुई हैं, या इनके जनक दूरस्थ संकरणों से प्राप्त किए जाते हैं।
(All the recent varieties of sugarcane have either been derived directly from distant hybridization, or their parents are obtained from distant hybridization.)
Ø आधुनिक किस्मों में (In Modern Varieties):-
i. उत्पादकता व गुणवत्ता (Productivity and Quality):- Saccharum officinarum से आती है।
(Comes from Saccharum officinarum.)
ii. जैविक व अजैविक प्रतिबल रोधिता (Biotic and Abiotic Stress Resistance):- Saccharum की अन्य जातियों से आती है।
(Comes from other species of Saccharum.)
Ø आधुनिक किस्मों को ‘नोबलीकृत गन्ना’ कहते हैं।
(Modern varieties are called 'Nobilized cane'.)
Ø नोबलीकृत किस्मों के विकास के लिए Saccharum officinarum जनक से 2 – 3 प्रतीप संकरण किए जाते है, जिससे संततियों में नोबल गन्ने (Saccharum officinarum) के वांछित लक्षण पर्याप्त परिमाण में उपस्थित रहें।
(For the development of nobilized varieties, 2 to 3 back crosses are performed with the Saccharum officinarum parent, so that the desired traits of the noble cane (Saccharum officinarum) are found in sufficient quantity in the offspring.)
d.उत्परिवर्तन प्रजनन (Mutation Breeding):-
Ø गन्ना सुधार में उत्परिवर्तन प्रजनन का सीमित उपयोग हुआ है।
(There has been limited use of mutation breeding in sugarcane improvement.)
Ø कुछ उदाहरण निम्न हैं:-
(Some examples are:-)
i. Co 8152:- इसे किस्म Co 527 में उत्परिवर्तन करके विकसित किया गया है।
(It has been developed by mutation in the variety Co 527.)
ii. Co 8153:- इसे किस्म Co 775 में उत्परिवर्तन करके विकसित किया गया है।
(It has been developed by mutation in the variety Co 775.)