Physiological Aspects of Growth and Development of Major Crops

UPDATED ON:- 01-01-2024

मुख्य फसलों की वृद्धि और विकास के शारीरिक पहलू:- (Physiological Aspects of Growth and Development of Major Crops:-)

वृद्धि व विकास (Growth and Development):- 

वृद्धि और विकास सभी जीवित जीवों की सबसे मौलिक और विशिष्ट विशेषताएं हैं। वृद्धि की पादप कार्यिकीय परिभाषा ''जीवित जीव, अंग या कोशिका के द्रव्यमान, भार या आयतन में अनुत्क्रमणीय वृद्धि'' है।

(Growth and development are the most fundamental and conspicuous characteristics of all living organisms. The plant physiological definition of growth is "an irreversible increase in mass, weight or volume of a living organism, organ or cell.")

कार्यिकीय पहलू (Physiological aspects):-  

वृद्धि केवल जीवित कोशिकाओं तक ही सीमित है और उपापचय प्रक्रियाओं द्वारा पूर्ण होती है जिसमें उपापचय ऊर्जा को खर्च करके न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन, लिपिड और पॉलीसेकेराइड जैसे वृहद अणुओं के संश्लेषण शामिल होते हैं।

(Growth is restricted only to living cells and is accomplished by metabolic processes involving synthesize of macromolecules, such as nucleic acids, proteins, lipids and polysaccharides at the expense of metabolic energy.)

वृद्धि क्षेत्र (Growth regions):- 

पौधों में विशिष्ट वृद्धि क्षेत्र प्ररोह और मूल के शीर्ष हैं। इस तरह के वृद्धि क्षेत्रों को शीर्षस्थ विभज्योत्तक, प्राथमिक विभज्योत्तक या प्राथमिक वृद्धि के क्षेत्रों के रूप में जाना जाता है। ये शीर्षस्थ विभज्योत्तक लंबाई में वृद्धि, विभिन्न उपांगों के विभेदन और पौधों के ऊतकों के निर्माण के लिए उत्तरदायी होते हैं।

(Typical growth regions in plants are the apices of shoot and root. Such growing regions are known as apical meristems, primary meristems or regions of primary growth. These apical meristems are responsible for the increase in length, differentiation of various appendages and formation of plant tissues.)

वृद्धि की प्रावस्थाएं (Phases of growth):- 

वृद्धि कोई सरल प्रक्रिया नहीं है। यह विभज्योतक क्षेत्रों में होता है जहां इस प्रक्रिया के पूरा होने से पहले, एक विभज्योतक कोशिका को निम्नलिखित 3 चरणों से गुजरना होगा:

(Growth is not a simple process. It occurs in meristematic regions where before completion of this process, a meristematic cell must pass through the following 3 phases:)

i. कोशिका निर्माण प्रावस्था (Cell formation phase)

ii. कोशिका लम्बवन क्षेत्र (Cell elongation phase)

iii. कोशिका विभेदन (कोशिका परिपक्वन) [Cell differentiation (cell maturation)]

वृद्धि वक्र (Growth curve):- 

एक वार्षिक पौधे के आदर्श वृद्धि पैटर्न को तीन चरणों में बांटा गया है।

(Typical growth pattern of an annual plant is divided into three phases.)

i. Lag period of growth:- 

इस अवधि के दौरान वृद्धि दर काफी धीमी होती है क्योंकि यह वृद्धि प्रारम्भिक अवस्था है।

(During this period the growth rate is quite slow because it is the initial stage of growth.)

ii. Log period of growth:- 

इस अवधि के दौरान, वृद्धि दर अधिकतम होती है और शीर्ष पर पहुंचती है क्योंकि इस अवस्था पर कोशिका विभाजन और कार्यिकीय प्रक्रियाएं काफी तीव्र होती हैं।

(During this period, the growth rate is maximum and reaches the top because at this stage the cell division and physiological processes are quite fast.)

iii. Senescence period or steady state period:- 

इस अवधि के दौरान वृद्धि लगभग पूर्ण हो जाती है और स्थिर हो जाती है। इस प्रकार वृद्धि दर शून्य हो जाती है।

(During this period the growth is almost complete and become static. Thus, the growth rate becomes zero.)

वृद्धि का मापन (Measurement of growth):- 

वृद्धि को विभिन्न मापदंडों द्वारा निम्न प्रकार से मापा जा सकता है -

(Growth can be measured by a variety of parameters as follows -)

i. ताजा भार (Fresh weight):- 

ताजा भार का निर्धारण वृद्धि को मापने का एक आसान और सुविधाजनक तरीका है। ताजा भार मापने के लिए, सम्पूर्ण पौधे को काटा जाता है, अपशिष्ट कणों को साफ किया जाता है और फिर तौला जाता है।

(Determination of fresh weight is an easy and convenient method of measuring growth. For measuring fresh weight, the entire plant is harvested, cleaned for dirt particles if any and then weighed.)

ii. शुष्क भार (Dry weight):- 

पादप अंगों का शुष्क भार आमतौर पर इनको 21 से 48 घंटे के लिए 70 से 80 डिग्री सेल्सियस पर सुखाकर और फिर वजन करके प्राप्त किया जाता है। शुष्क भार का मापन ताजा भार की तुलना में वृद्धि का अधिक वैध और सार्थक अनुमान दे सकता है। यध्यपि, गहरे रंग के अंकुरों की वृद्धि को मापने के लिए ताजा भार लेना वांछनीय है।

(The dry weight of the plant organs is usually obtained by drying the materials for 21 to 48 h at 70 to 80°c and then weighing it. The measurements of dry weight may give a more valid and meaningful estimation of growth than fresh weight. However, in measuring the growth of dark grown seedling it is desirable to take fresh weight.)

iii. लंबाई (Length):- 

लंबाई का मापन उन अंगों की वृद्धि का एक उपयुक्त संकेत है जो लगभग एक समान व्यास के साथ एक दिशा में बढ़ते हैं जैसे कि जड़ें और अंकुर। लंबाई को एक पैमाने द्वारा मापा जा सकता है। लंबाई मापने का लाभ यह है कि इसे एक ही अंग पर बिना नष्ट किए लंबे समय तक किया जा सकता है।

(Measurement of length is a suitable indication of growth for those organs which grow in one direction with almost uniform diameter such as roots and shoots. The length can be measured by a scale. The advantage of measuring length is that it can be done on the same organ over a period of time without destroying it.)

iv. क्षेत्रफल (Area):- 

इसका उपयोग पादप अंगों जैसे पर्ण की वृद्धि को मापने के लिए किया जाता है। क्षेत्रफल को एक ग्राफ पेपर या एक उपयुक्त यांत्रिक उपकरण द्वारा मापा जा सकता है। आजकल आधुनिक प्रयोगशालाएं एक फोटोइलेक्ट्रिक उपकरण (डिजिटल लीफ एरिया मीटर) का उपयोग करते हैं जो पर्ण क्षेत्रफल को सीधे पढ़ता है क्योंकि एकल पत्तियों को इसमें डाला जाता है।

(It is used for measuring growth of plant organs like leaf. The area can be measured by a graph paper or by a suitable mechanical device. Nowadays modern laboratories use a photoelectric device (digital leaf area meter) which reads leaf area directly as the individual leaves is fed into it.)