Osmosis, plasmolysis, deplasmolysis & Adsorption

Osmosis (परासरण):- The movement of solvent molecules from its higher concentration to its lower concentration through a semi-permeable membrane is called osmosis.
(विलायक के अणुओं का अपनी अधिक सांद्रता से अपनी निम्न सांद्रता की ओर अर्ध पारगम्य झिल्ली से होकर गमन करना परासरण कहलाता है।)
OR (अथवा)
The movement of solvent molecules from a solution of lower concentration to a solution of higher concentration through a semi-permeable membrane is called osmosis.
(विलायक के अणुओं का निम्न सांद्रता वाले विलयन से अधिक सांद्रता वाले विलयन की ओर अर्ध पारगम्य झिल्ली से होकर गमन करना परासरण कहलाता है।)
- It is a passive process i.e. energy is not utilised.
(यह एक निष्क्रिय प्रक्रिया है अर्थात इसमें ऊर्जा का उपयोग नहीं होता है।)
- This process remain continue until equilibrium is established.
(यह तब तक होता रहता है जब तक कि साम्यवस्था स्थापित नहीं हो जाती है।)
- It always occurs from one cell to another.
(यह हमेशा एक कोशिका से दूसरी कोशिका में होता है।)
- It is a rapid process.
(यह एक तीव्र गति से होने वाली प्रक्रिया है।)
- It depends on the living system.
(यह जीवित तंत्र पर निर्भर करता है।)
- It is the only source of movement of water inside the plant body.
(पादप शरीर के अंदर यह जल की गति का एकमात्र साधन है।)
- The cell wall is completely permeable i.e. it does not act as a barrier. Therefore water and other components of the solution can move freely across it.
(कोशिका भित्ति पूर्णतया पारगम्य होती है अर्थात यह बाधक का कार्य नहीं करती है। इसलिए जल व विलयन के अन्य घटक इसके आर – पार स्वतंत्र गति कर सकते हैं।)
- There are two important determinants of the movement of molecules in a plant cell-
(पादप कोशिका में अणुओं की गति के दो महत्वपूर्ण निर्धारक होते हैं –)
i. Plasma membrane
(प्लाज्मा झिल्ली )
ii. Tonoplast (Membrane of central vacuole)
[टोनोप्लास्ट (केंद्रीय रिक्तिका की झिल्ली)]
Vacuolar sap (रिक्तिकीय रस):- It is found in the large central vacuole which contributes to the determination of osmotic pressure in the cell.
(यह बड़ी केंद्रीय रिक्तिका में पाया जाता है जो कोशिका में परासरण दाब को निर्धारित करने में योगदान देता है।)
Semi-permeable membrane (अर्धपारगम्य झिल्ली):- A membrane that allow solvent molecules to pass through it by diffusion and do not allow the passing of solute molecule, is called as semi-permeable membrane. Plasma membrane of cells is considered semi-permeable.
(वह झिल्ली जो विलायक के अणुओं को विसरण द्वारा अपने से गुजरने देती है और विलेय के अणु को गुजरने नहीं देती है, अर्धपारगम्य झिल्ली कहलाती है। कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली को अर्धपारगम्य माना जाता है।)
Types of solutions (विलयनों के प्रकार):-
i. Hypertonic solution (अतिपरासरी विलयन):- A solution in which the concentration of the solute is higher than that of the solution on the other side of the semipermeable membrane. Water molecules enter into this solution.
(ऐसा विलयन जिसमें विलेय की सांद्रता अर्धपारगम्य झिल्ली के दूसरी तरफ के विलयन की तुलना में अधिक होती है। जल के अणु इसमें प्रवेश करते हैं।)
ii. Hypotonic solution (अधोपरासरी विलयन):- A solution in which the concentration of the solute is lower than that of the solution on the other side of the semipermeable membrane. Water molecules move out of this solution.
(ऐसा विलयन जिसमें विलेय की सांद्रता अर्धपारगम्य झिल्ली के दूसरी तरफ के विलयन की तुलना में कम होती है। जल के अणु इस विलयन से बाहर जाते हैं।)
iii. Isotonic solution (समपरासरी विलयन):- A solution in which the concentration of the solute is equal to that of the solution on the other side of the semipermeable membrane. Water molecules move in both directions and remain in equilibrium.
(ऐसा विलयन जिसमें विलेय की सांद्रता अर्धपारगम्य झिल्ली के दूसरी तरफ के विलयन के बराबर होती है। जल के अणु दोनों ओर गति करके साम्यवस्था में रहते हैं।)
Types of Osmosis (परासरण के प्रकार ):- 
i. Endosmosis (अन्त:परासरण):- When water molecules enter the cell.
(जब जल के अणु कोशिका के अन्दर प्रवेश करते हैं।)
ii. Exosmosis (बाह्यपरासरण):- When water molecules move out of the cell.
(जब जल के अणु कोशिका से बाहर निकलते हैं।)

Plasmolysis (जीवद्रव्य कुंचन):- When a turgid cell is placed in a hypertonic solution, (the solution in which solute concentration is more than the cell sap), the water travels out of the cell, due to the lower concentration of water outside the cell. Then the cell shrinks and becomes flaccid. This is known as plasmolysis.
(जब एक स्फीत कोशिका को अतिपरासरी विलयन (जिसमें विलेय की सांद्रता कोशिकाद्रव्य से अधिक होती है) में रखा जाता है, तो कोशिका के बाहर जल की कम सांद्रता के कारण जल कोशिका से बाहर चला जाता है। इससे कोशिका सिकुड़ जाती है और शिथिल हो जाती है। इसे जीवद्रव्यकुंचन कहते हैं।)
Stages of Plasmolysis (जीवद्रव्य कुंचन की अवस्थाएँ):- 
The complete process of Plasmolysis take place in three different stages-
(जीवद्रव्य कुंचन की सम्पूर्ण प्रक्रिया तीन विभिन्न चरणों में होती है-)
i. Incipient plasmolysis (आरंभिक जीवद्रव्य कुंचन):- It is the initial stage of the plasmolysis, during which, water starts flowing out of the cell; initially, the cell shrinks in volume and cell wall become detectable.
(यह जीवद्रव्य का प्रारंभिक चरण है, जिसके दौरान कोशिका से जल बाहर निकलने लगता है। प्रारंभ में, कोशिका आयतन में सिकुड़ती है और कोशिका भित्ति का पता लगाया जा सकता है।)
ii. Evident plasmolysis (स्पष्ट जीवद्रव्य कुंचन ):- It is the next stage of the plasmolysis, during which, the cell wall has reached its limit of contraction and cytoplasm gets detached from the cell wall attaining the spherical shape.
(यह जीवद्रव्य कुंचन का अगला चरण है, जिसके दौरान कोशिका भित्ति संकुचन की अपनी सीमा तक पहुँच जाती है और कोशिकाद्रव्य कोशिका भित्ति से अलग होकर गोलाकार आकार प्राप्त कर लेता है।)
iii. Final plasmolysis (अंतिम जीवद्रव्य कुंचन):- It is the third and the final stage of the plasmolysis, during which the cytoplasm will be completely free from the cell wall and remains in the centre of the cell.
(यह जीवद्रव्य कुंचन का तीसरा और अंतिम चरण है, जिसके दौरान कोशिकाद्रव्य कोशिका भित्ति से पूरी तरह मुक्त होकर कोशिका के केंद्र में रहता है।)
Examples of Plasmolysis (जीवद्रव्य कुंचन के उदाहरण):- Plasmolysis is more common and happens in extreme cases of water loss. Some real-life examples of Plasmolysis are-
(जीवद्रव्य कुंचन अधिक सामान्य होता है और जल हानि के चरम मामलों में होता है। जीवद्रव्य कुंचन के कुछ वास्तविक जीवन उदाहरण हैं -)
i. Shrinkage of vegetables in hypertonic conditions.
(अतिपरासरी परिस्थितियों में सब्जियों का सिकुड़ना।)
ii. Blood cell shrinks when they are placed in the hypertonic conditions.
(रक्त कोशिका सिकुड़ जाती है जब इसे अतिपरासरी परिस्थितियों में रखा जाता है।)
iii. During extreme coastal flooding, ocean water deposits salt onto land.
(अत्यधिक तटीय बाढ़ के दौरान, समुद्र का जल भूमि पर नमक जमा करता है।)
iv. Spraying of weedicides kills weeds in lawns, orchards and agricultural fields. This is due to the natural phenomena-Plasmolysis.
(खरपतवारनाशी के छिड़काव से लॉन, बगीचों और कृषि क्षेत्रों में खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। यह एक प्राकृतिक घटना जीवद्रव्य कुंचन के कारण होता है।)
v. When more amount of salt is added as the preservatives for food like jams, jellies, and pickles.  The cells lose water due to higher concentration outside and become less conducive to support the growth of microorganisms.
(जब जैम, जेली और अचार जैसे भोजन के लिए परिरक्षकों के रूप में अधिक मात्रा में नमक मिलाया जाता है। कोशिकाओं के बाहर उच्च सांद्रता के कारण जल की हानि होती है और सूक्ष्मजीवों की वृद्धि के लिए वातावरण प्रतिकूल हो जाता है।)

Deplasmolysis (जीवद्रव्य विकुंचन):- When the plasmolysed cell is placed in a hypotonic solution, (the solution in which solute concentration is less than the cell sap), the water travels into the cell, due to the higher concentration of water outside the cell. Then the cell swells and becomes turgid. This is known as deplasmolysis.
(जब जीवद्रव्य कुंचित कोशिका को अधोपरासरी विलयन (जिसमें विलेय की सांद्रता कोशिकाद्रव्य से कम होती है) में रखा जाता है तो कोशिका के बाहर जल की सांद्रता अधिक होने के कारण जल कोशिका में चला जाता है। फिर कोशिका फूल जाती है और स्फीत हो जाती है। इसे जीवद्रव्य विकुंचन कहते हैं।)
Adsorption (अधिशोषण):- It the process by which a solid holds water molecules as a thin film on the surface. Eg.- Imbibition.
(यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई ठोस जल के अणुओं को एक पतली फिल्म के रूप में अपनी सतह पर बनाए रखता है। जैसे.- अंतःशोषण।)
Imbibition (अंत:शोषण ):- It is a type of diffusion where the water is adsorbed by the solid, causing an enormous increase in volume. The solution is not formed in the process. Here, the solid substances are referred to as Imbibants and the imbibed liquid is referred to as imbibate. E.g. the adsorption of water by seed or dry wood.
(यह एक प्रकार का विसरण है जिसमें ठोस द्वारा जल अधिशोषित कर लिया जाता है, जिससे उसके आयतन में भारी वृद्धि हो जाती है। इस प्रक्रिया में विलयन नहीं बनता है। यहां, ठोस पदार्थ को इम्बिबेंट के रूप में संदर्भित किया जाता है और  को इम्बिबेट के रूप में संदर्भित किया जाता है। उदा. बीज या सूखी लकड़ी द्वारा पानी का सोखना।)
Features of Imbibition (अंत:शोषण के अभिलक्षण):- 
The important characteristics of imbibition are-
(अंतःशोषण के महत्वपूर्ण अभिलक्षण हैं-)
i. Water Potential (जल विभव):- The water potential or matric potential of imbibants is negative. Water has maximum water potential, i.e. 0.
(इम्बिबेंट का जल विभव या मैट्रिक विभव ऋणात्मक होता  है। शुद्ध जल का जल विभव अधिकतम अर्थात 0 होता है।)
ii. Increase in Volume (आयतन में वृद्धि):- During imbibition, the volume of an imbibant increases. E.g. swelling of the soaked seeds, swelling of wooden frames during rains.
(अंतःशोषण के दौरान, एक इम्बिबेंट का आयतन बढ़ जाता है। उदा. भीगे हुए बीजों का फूलना, बारिश के दौरान लकड़ी के तख्ते का फूलना।)
iii. Water Potential Gradient (जल विभव प्रवणता):- A steep water potential gradient is created, when a dry imbibant comes in contact with water. Water diffuses from the higher potential into the imbibant.
(जब एक शुष्क इम्बिबेंट जल के संपर्क में आता है, तो एक जल विभव प्रवणता बन जाती है। जल उच्च विभव से इम्बिबेंट में विसरित हो जाता है।)
iv. Heat of Wetting (गीलेपन की ऊष्मा):- The heat released during imbibition is known as the heat of wetting.
(अंतःशोषण के दौरान निकलने वाली ऊष्मा को गीलेपन की ऊष्मा के रूप में जाना जाता है।)
v. Adsorption (अधिशोषण):- The imbibant holds the imbibate by adsorption. It is an attractive force between two substances.
(इम्बिबेंट अधिशोषण द्वारा जल के अणुओं को पकड़े रखता है। यह दो पदार्थों के बीच एक आकर्षक बल होता है।)
Factors Affecting Imbibition (अंत:शोषण को प्रभावित करने वाले कारक):- 
Various factors affecting imbibition include-
(अंतःशोषण को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों में शामिल हैं-)
i. Pressure (दाब)
ii. Texture of the imbibant (ठोस की बनावट)
iii. pH of the medium (माध्यम का pH )
iv. Affinity of the imbibant for the imbibate (द्रव के लिए ठोस का आकर्षण )
Condition Necessary for Imbibition (अंत:शोषण के लिए आवश्यक शर्तें):- 
There are three conditions that are necessary for imbibition-
(अन्तःशोषण के लिए आवश्यक तीन शर्तें हैं-)
i. Water potential gradient between imbibate and imbibant.
(ठोस व द्रव के मध्य जल विभव प्रवणता।)
ii. Force of attraction between imbibant and imbibate.
(ठोस व द्रव के मध्य आकर्षण बल।)
iii. Imbibition increases with an increase in temperature.
(तापमान में वृद्धि के साथ अंतःशोषण बढ़ता है।)
Imbibition in Plants (पौधों में अंत:शोषण):-
- Imbibition causes swelling of seeds and results in the breaking of testa.
(अंतःशोषण से बीजों में फुलावट आ जाती है और इसके परिणामस्वरूप बीज चोल टूट जाता है।)
- Imbibition is the initial step in seed germination.
(अंतःशोषण बीज के अंकुरण का प्रारंभिक चरण है।)
- The water moves into ovules which are ripening into seeds by imbibition.
(जल बीजांड में चला जाता है जो अंतःशोषण द्वारा पक कर बीज में बदल जाता है।)
- Imbibition is dominant in the initial stage of water absorption by roots.
(जड़ों द्वारा जल अवशोषण के प्रारंभिक चरण में अंतःशोषण प्रभावी होता है।)
Significance of Imbibition (अंत:शोषण का महत्व):- 
The significance of imbibition includes-
(अंतःशोषण के महत्व में शामिल हैं-)
i. It facilitates water absorption.
(यह जल अवशोषण में सहायता करता है।)
ii. It helps in seed germination.
(यह बीज के अंकुरण में सहायता करता है।)
iii. It keeps the cells moist.
(यह कोशिकाओं को नम रखता है।)