You and Your English – Spoken English and broken English G.B. Shaw

You and Your English – Spoken English and broken English G.B. Shaw (तुम और तुम्हारी अंग्रेजी - बोली जाने वाली अंग्रेजी और टूटी-फूटी अंग्रेजी जी. बी. शॉ):- "You and Your English" and "Spoken English and Broken English" are both essays by George Bernard Shaw, though it seems there might be some confusion because Shaw is more famously associated with "Spoken English and Broken English." Let's explore "Spoken English and Broken English" in detail, as this is a well-known piece by Shaw addressing issues related to English language proficiency.
("तुम और तुम्हारी अंग्रेजी" और "बोली जाने वाली अंग्रेजी और टूटी-फूटी अंग्रेजी" दोनों जॉर्ज बर्नार्ड शॉ के निबंध हैं, हालांकि ऐसा लगता है कि कुछ भ्रम हो सकता है क्योंकि शॉ को "बोली जाने वाली अंग्रेजी और टूटी-फूटी अंग्रेजी" के लिए अधिक प्रसिद्ध रूप से जाना जाता है। आइए "बोली जाने वाली अंग्रेजी और टूटी-फूटी अंग्रेजी" का विस्तार से अन्वेषण करें, क्योंकि यह शॉ का एक प्रसिद्ध निबंध है जो अंग्रेजी भाषा की प्रवीणता से संबंधित मुद्दों को संबोधित करता है।)
1. You and Your English (तुम और तुम्हारी अंग्रेजी):-
Overview (सारांश):- "You and Your English" is an essay by George Bernard Shaw, in which he addresses the idiosyncrasies, complexities, and often humorous aspects of the English language. Shaw, known for his wit and keen observations, delves into various elements of English that can be perplexing for both native speakers and learners. Here's a detailed breakdown of the key points Shaw discusses in the essay:
("तुम और तुम्हारी अंग्रेजी" जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का एक निबंध है, जिसमें वे अंग्रेजी भाषा की विचित्रताओं, जटिलताओं और अक्सर हास्यपूर्ण पहलुओं को संबोधित करते हैं। शॉ, अपने बुद्धिमत्ता और तीक्ष्ण टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं, अंग्रेजी के विभिन्न तत्वों पर चर्चा करते हैं जो मूल वक्ताओं और शिक्षार्थियों दोनों के लिए भ्रमित करने वाले हो सकते हैं। यहाँ निबंध में शॉ द्वारा चर्चा किए गए मुख्य बिंदुओं का विस्तृत विश्लेषण है:)
Key Points (मुख्य बिंदु):-
i. Complexity of English Spelling and Pronunciation (अंग्रेजी की वर्तनी और उच्चारण की जटिलता):- Shaw highlights the irregularities and inconsistencies in English spelling and pronunciation. He points out that English is filled with words that do not follow logical phonetic rules, making it a difficult language to master.
(शॉ अंग्रेजी वर्तनी और उच्चारण में अनियमितताओं और असंगतताओं को उजागर करते हैं। वे बताते हैं कि अंग्रेजी में बहुत सारे शब्द हैं जो तार्किक ध्वन्यात्मक नियमों का पालन नहीं करते, जिससे इसे मास्टर करना मुश्किल हो जाता है।)
ii. Examples of Inconsistencies (असंगतियों के उदाहरण):- Shaw provides numerous examples to illustrate his points. He might cite words like "ghoti," which he claims could be pronounced as "fish" (with 'gh' from 'enough,' 'o' from 'women,' and 'ti' from 'nation'), to show the absurdity of English spelling conventions.
[शॉ अपने बिंदुओं को स्पष्ट करने के लिए कई उदाहरण देते हैं। वे "घोटी" जैसे शब्द का हवाला दे सकते हैं, जिसे वे दावा करते हैं कि इसे "मछली" के रूप में उच्चारित किया जा सकता है ('gh' 'enough' से, 'o' 'women' से, और 'ti' 'nation' से), अंग्रेजी वर्तनी सम्मेलनों की निरर्थकता को दिखाने के लिए।]
iii. Historical Influences (ऐतिहासिक प्रभाव):- The essay discusses how historical events and cultural interactions have influenced the development of English. Shaw explains that invasions, migrations, and colonization have contributed to the language's vast and diverse vocabulary, borrowing from Latin, French, German, and other languages.
(निबंध में चर्चा की जाती है कि ऐतिहासिक घटनाओं और सांस्कृतिक संपर्कों ने अंग्रेजी के विकास को कैसे प्रभावित किया है। शॉ बताते हैं कि आक्रमणों, प्रवासों और उपनिवेशवाद ने लैटिन, फ्रेंच, जर्मन और अन्य भाषाओं से उधार लेकर भाषा की विशाल और विविध शब्दावली में योगदान दिया है।)
iv. Grammar and Syntax (व्याकरण और वाक्य रचना):- Shaw touches upon the peculiarities of English grammar and syntax. He might mention the irregular verbs, inconsistent use of articles, and the flexible word order that can often confuse learners.
(शॉ अंग्रेजी व्याकरण और वाक्य रचना की विशेषताओं पर चर्चा करते हैं। वे अनियमित क्रियाओं, लेखों के असंगत उपयोग और लचीले शब्द क्रम का उल्लेख कर सकते हैं जो अक्सर शिक्षार्थियों को भ्रमित कर सकता है।)
v. Language Evolution (भाषा का विकास):- Shaw emphasizes that languages are constantly evolving. He advocates for the simplification of English spelling to make it more accessible, reflecting his broader belief in the need for social and cultural reform.
(शॉ इस बात पर जोर देते हैं कि भाषाएं लगातार विकसित हो रही हैं। वे अंग्रेजी वर्तनी को सरल बनाने की वकालत करते हैं ताकि इसे अधिक सुलभ बनाया जा सके, जो उनके व्यापक विश्वास को सामाजिक और सांस्कृतिक सुधार की आवश्यकता को दर्शाता है।)
vi. Humor and Satire (हास्य और व्यंग्य):- Throughout the essay, Shaw employs his characteristic humor and satire. He uses witty remarks and clever examples to entertain the reader while making serious points about the language.
(पूरे निबंध में, शॉ अपने विशिष्ट हास्य और व्यंग्य का उपयोग करते हैं। वे गंभीर बिंदुओं को बनाते समय पाठक का मनोरंजन करने के लिए मजाकिया टिप्पणियों और चतुर उदाहरणों का उपयोग करते हैं।)
vii. Shaw’s Advocacy for Spelling Reform (वर्तनी सुधार के लिए शॉ की वकालत):- Shaw was a vocal advocate for spelling reform. He believed that simplifying English spelling would benefit learners and make the language more logical. He even left money in his will to promote a new phonetic alphabet.
(शॉ वर्तनी सुधार के लिए एक मुखर वकील थे। उनका मानना था कि अंग्रेजी वर्तनी को सरल बनाने से शिक्षार्थियों को लाभ होगा और भाषा को अधिक तार्किक बना देगा। उन्होंने एक नए ध्वन्यात्मक वर्णमाला को बढ़ावा देने के लिए अपनी वसीयत में भी पैसा छोड़ा।)
viii. Impact on Learners (शिक्षार्थियों पर प्रभाव):- The essay often highlights the challenges faced by non-native speakers and learners of English. Shaw shows empathy towards learners struggling with the complexities of the language and argues for more straightforward and consistent teaching methods.
(निबंध अक्सर गैर-मूल वक्ताओं और अंग्रेजी के शिक्षार्थियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को उजागर करता है। शॉ भाषा की जटिलताओं से जूझ रहे शिक्षार्थियों के प्रति सहानुभूति दिखाते हैं और अधिक सीधे और सुसंगत शिक्षण विधियों की वकालत करते हैं।)
ix. Cultural Reflections (सांस्कृतिक प्रतिबिंब):- Shaw's observations also reflect broader cultural and societal issues. He uses language as a lens to critique social norms, educational systems, and the resistance to change.
(शॉ के अवलोकन व्यापक सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों को भी दर्शाते हैं। वे सामाजिक मानदंडों, शैक्षिक प्रणालियों और परिवर्तन के प्रतिरोध की आलोचना करने के लिए भाषा का उपयोग करते हैं।)
Conclusion (निष्कर्ष):- In conclusion, Shaw's "You and Your English" serves as both a critique and a celebration of the English language. It showcases his deep understanding of linguistic issues and his desire for reform, all while entertaining the reader with his sharp wit and insightful commentary.
(अंत में, शॉ का "तुम और तुम्हारी अंग्रेजी" अंग्रेजी भाषा की आलोचना और उत्सव दोनों के रूप में कार्य करता है। यह भाषाई मुद्दों की उनकी गहरी समझ और सुधार की उनकी इच्छा को प्रदर्शित करता है, जबकि अपने तीक्ष्ण हास्य और अंतर्दृष्टिपूर्ण टिप्पणियों के साथ पाठक का मनोरंजन भी करता है।)

2. Spoken English and Broken English (बोली जाने वाली अंग्रेजी और टूटी-फूटी अंग्रेजी):-
Overview (सारांश):- "Spoken English and Broken English" is a radio talk delivered by George Bernard Shaw. The piece addresses the complexities of the English language and the misconceptions surrounding "proper" and "improper" usage. Shaw highlights how English is spoken differently around the world and argues against the rigid standards often imposed on non-native speakers.
("बोली जाने वाली अंग्रेजी और टूटी-फूटी अंग्रेजी" जॉर्ज बर्नार्ड शॉ द्वारा दिया गया एक रेडियो भाषण है। यह टुकड़ा अंग्रेजी भाषा की जटिलताओं और "उचित" और "अनुचित" उपयोग से संबंधित गलतफहमियों को संबोधित करता है। शॉ इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि दुनिया भर में अंग्रेजी को कैसे अलग-अलग तरीकों से बोला जाता है और गैर-मूल वक्ताओं पर अक्सर लगाए गए कठोर मानकों के खिलाफ तर्क देते हैं।)
Key Points (मुख्य बिंदु):-
i. Diverse English Accents (विविध अंग्रेजी उच्चारण):- Shaw emphasizes that English is spoken in many different accents, and what is considered "proper" English can vary significantly depending on the region. He points out that even native speakers from different parts of the English-speaking world do not speak the same way.
(शॉ इस बात पर जोर देते हैं कि अंग्रेजी को कई अलग-अलग उच्चारणों में बोला जाता है, और "उचित" अंग्रेजी क्या है, यह क्षेत्र के आधार पर काफी भिन्न हो सकता है। वे बताते हैं कि यहां तक कि अंग्रेजी बोलने वाले दुनिया के विभिन्न हिस्सों के मूल वक्ता भी एक ही तरह से नहीं बोलते।)
ii. The Myth of "Correct" English ("सही" अंग्रेजी का मिथक):- Shaw argues that the concept of "correct" English is a myth. He suggests that what is deemed proper in one place might be seen as incorrect in another. He encourages listeners to be more accepting of different forms of English.
(शॉ तर्क देते हैं कि "सही" अंग्रेजी की अवधारणा एक मिथक है। उनका सुझाव है कि जो एक जगह पर उचित माना जाता है, वह दूसरी जगह पर गलत माना जा सकता है। वे श्रोताओं को अंग्रेजी के विभिन्न रूपों को अधिक स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।)
iii. Broken English (टूटी-फूटी अंग्रेजी):- Shaw discusses "broken English," which refers to the imperfect or non-standard English often spoken by non-native speakers. He asserts that broken English is still a valid form of communication and should not be dismissed or ridiculed.
(शॉ "टूटी-फूटी अंग्रेजी" पर चर्चा करते हैं, जो अक्सर गैर-मूल वक्ताओं द्वारा बोली जाने वाली अपूर्ण या गैर-मानक अंग्रेजी को संदर्भित करता है। वे दावा करते हैं कि टूटी-फूटी अंग्रेजी संचार का एक वैध रूप है और इसे खारिज या उपहास नहीं किया जाना चाहिए।)
iv. Effective Communication (प्रभावी संचार):- The primary purpose of language, Shaw argues, is communication. If broken English serves this purpose, it should be respected. He insists that the effectiveness of communication is more important than adherence to strict grammatical rules.
(शॉ तर्क देते हैं कि भाषा का प्राथमिक उद्देश्य संचार है। यदि टूटी-फूटी अंग्रेजी इस उद्देश्य को पूरा करती है, तो इसका सम्मान किया जाना चाहिए। वे जोर देते हैं कि संचार की प्रभावशीलता सख्त व्याकरणिक नियमों के पालन से अधिक महत्वपूर्ण है।)
v. Empathy for Learners (शिक्षार्थियों के प्रति सहानुभूति):- Shaw calls for empathy towards those learning English. He acknowledges the challenges faced by non-native speakers and encourages native speakers to be patient and supportive.
(शॉ अंग्रेजी सीखने वालों के प्रति सहानुभूति की मांग करते हैं। वे गैर-मूल वक्ताओं द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को स्वीकार करते हैं और मूल वक्ताओं को धैर्यवान और सहायक बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।)
vi. The Role of Native Speakers (मूल वक्ताओं की भूमिका):- Native speakers are often unaware of the difficulties non-native speakers face. Shaw urges them to recognize their privilege and to not look down upon those who speak English differently.
(मूल वक्ता अक्सर उन कठिनाइयों से अनजान होते हैं जिनका सामना गैर-मूल वक्ताओं को करना पड़ता है। शॉ उन्हें उनके विशेषाधिकार को पहचानने और उन लोगों को नीचा न देखने का आग्रह करते हैं जो अलग-अलग तरीके से अंग्रेजी बोलते हैं।)
Relevance Today (आज की प्रासंगिकता):- Shaw's insights remain relevant today as English continues to be a global language spoken with various accents and dialects. His call for understanding and flexibility in language use encourages inclusivity and better global communication.
(शॉ की अंतर्दृष्टि आज भी प्रासंगिक है क्योंकि अंग्रेजी विभिन्न उच्चारणों और बोलियों के साथ एक वैश्विक भाषा बनी हुई है। भाषा के उपयोग में समझ और लचीलेपन के लिए उनकी कॉल समावेशिता और बेहतर वैश्विक संचार को प्रोत्साहित करती है।)
Conclusion (निष्कर्ष):- George Bernard Shaw's "Spoken English and Broken English" is a thought-provoking piece that challenges the traditional notions of language correctness and promotes a more inclusive approach to English usage. By advocating for empathy and understanding, Shaw's message is timeless and continues to resonate in our increasingly interconnected world.
(जॉर्ज बर्नार्ड शॉ की "बोली जाने वाली अंग्रेजी और टूटी-फूटी अंग्रेजी" एक विचारोत्तेजक टुकड़ा है जो भाषा शुद्धता की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देता है और अंग्रेजी उपयोग के लिए अधिक समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। सहानुभूति और समझ के लिए वकालत करके, शॉ का संदेश कालातीत है और हमारे तेजी से जुड़े हुए विश्व में गूंजता है।)